देव दिवाली पर इन बातों का रखें खास ख्याल, घर में आएगी खुशहाली

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26नवंबर।
कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दिवाली जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. इसके बाद अमावस्या को बड़ी दिवाली मनाते हैं एवं पूर्णिमा को देव दिवाली मनाते हैं. देव दीवाली कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है जो यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी मे मनाया जाता है. यह विश्व के सबसे प्राचीन शहर काशी की संस्कृति एवं परम्परा है. यह दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन गंगा नदी की पूजा की जाती है और लाखों दीए जलाए जाते हैं. देवदीवाली की परम्परा सबसे पहले पंचगंगा घाट 1915 मे हजारो दिये जलाकर शुरुवात की गयी थी. आज हम आपको 10 ऐसे कार्य बताएंगे, जिनको देव दीपावली के दिन करना शुभ माना जाता है।
नदी में स्नान- कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व रहा है. इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं. मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए. पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है।

तुलसी पूजा – इस दिन में शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है.

पूर्णिमा का व्रत – इस दिन व्रत का भी बहुत ही महत्व है. इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

दीपदान – देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाते हैं. इसलिए इस दिन नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान जरूर करें
दान- इस दिन में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है. अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें.

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