कानून किसी भी व्यक्ति को अपनी पंसद के व्यक्ति के एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या अलग धर्म के ही क्यों न हों- इलाहाबाद हाईकोर्ट
समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 24नवंबर।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लव जिहाद को लेकर सख्त कानून बनाने की तैयारी में जुटी है. इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित लव जिहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा, “एक व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप करना दो लोगों की पंसद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण होगा।
कोर्ट ने कहा, “हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से रह रहे हैं. न्यायालय और संवैधानिक अदालतें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “कानून किसी भी व्यक्ति को अपनी पंसद के व्यक्ति के एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या अलग धर्म के ही क्यों न हों. यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरबार ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर पिछले साल अगस्त में शादी की थी. प्रियंका ने शादी से पहले इस्लाम धर्म कबूल किया और अपना नाम बदलकर आलिया रख लिया था.
प्रियंका के परिजनों ने सलामत पर “किडनैपिंग” और “शादी के लिए बहला-फुसलाकर भगा” ले जाने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी. FIR में POCSO एक्ट भी शामिल किया गया था. परिवार का दावा था कि जब शादी हुई तो उनकी बेटी नाबालिग थी.
सलामत ने अपने खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी. सलामत की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 नवंबर को फैसला सुनाया.
यूपी सरकार और महिला के परिवार की दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने 14 पन्नों के आदेश में कहा, “अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, हर व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है.”