बीएमसी चुनाव: बीजेपी की पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं

कांग्रेस ने 27% मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, उद्धव की शिवसेना का मराठी मानुस पर बड़ा दांव, एनसीपी भी गैर-मराठी समीकरण साधने में जुटी

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  • बीजेपी की पहली सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं
  • कांग्रेस ने 27% मुस्लिम चेहरों को टिकट, एनसीपी ने 24%
  • उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 88% उम्मीदवार मराठी
  • कांग्रेस-एनसीपी का फोकस गैर-मराठी और प्रवासी वोट बैंक

समग्र समाचार सेवा
मुंबई | 30 दिसंबर: मुंबई महानगरपालिका चुनाव 2026 की तैयारियों के साथ ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। पार्टियों की पहली उम्मीदवार सूची ने यह साफ कर दिया है कि इस बार चुनावी मुकाबला सिर्फ विकास के मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भाषा, समुदाय और पहचान की राजनीति केंद्र में रहने वाली है।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना: मराठी अस्मिता पर जोर

उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपने पारंपरिक ‘मराठी मानुस’ एजेंडे को और मजबूत किया है। पार्टी ने पहली सूची में 75 में से 66 टिकट मराठी उम्मीदवारों को दिए हैं, जो करीब 88 प्रतिशत हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि शिवसेना मुंबई में मराठी पहचान के सहारे अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखना चाहती है। हालांकि पार्टी ने सीमित संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को भी टिकट देकर संतुलन का संदेश देने की कोशिश की है।

बीजेपी की रणनीति: संतुलन की कोशिश, मुस्लिम शून्य

भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में लगभग 70 प्रतिशत मराठी उम्मीदवारों को शामिल किया है। पार्टी का उद्देश्य मराठी और हिंदी भाषी मतदाताओं के बीच संतुलन साधना माना जा रहा है। लेकिन धार्मिक प्रतिनिधित्व को लेकर बीजेपी की सूची पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसमें एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया है।

कांग्रेस का दांव: गैर-मराठी और मुस्लिम वोट बैंक

कांग्रेस ने इस बार अलग राह चुनी है। पार्टी की पहली सूची में केवल 41 प्रतिशत मराठी उम्मीदवार हैं, जबकि शेष टिकट गैर-मराठी समुदाय को दिए गए हैं। कांग्रेस ने 27 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने का स्पष्ट प्रयास किया है।

एनसीपी की राह: प्रवासी मतदाताओं पर नजर

एनसीपी ने भी कांग्रेस की तर्ज पर रणनीति अपनाई है। पार्टी ने करीब 40 प्रतिशत टिकट गैर-मराठी उम्मीदवारों को दिए हैं और 24 प्रतिशत मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है। इससे साफ है कि एनसीपी मुंबई के प्रवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं पर भरोसा जता रही है।

निष्कर्ष

पहली उम्मीदवार सूची से यह स्पष्ट हो गया है कि बीएमसी चुनाव 2026 में मुकाबला विकास से ज्यादा पहचान की राजनीति पर केंद्रित रहेगा। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने और अगली सूचियों के आने के बाद सियासी तस्वीर और साफ होगी।

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