नस्लीय टिप्पणी का विरोध पड़ा भारी, देहरादून में त्रिपुरा के छात्र की पीट-पीटकर हत्या

नस्लीय अपमान के खिलाफ आवाज उठाने पर शराब के नशे में धुत युवकों ने किया हमला, लंबे इलाज के बाद छात्र की मौत

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में नस्लीय टिप्पणी का विरोध करने पर हुआ हमला
  • धारदार हथियार और लोहे की रॉड से की गई बेरहमी से पिटाई
  • करीब पंद्रह दिन तक अस्पताल में चला इलाज, अंततः मौत
  • त्रिपुरा सहित पूरे उत्तर-पूर्व में आक्रोश, सख्त कार्रवाई की मांग

समग्र समाचार सेवा
देहरादून/अगरतला। 29 दिसंबर:उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नस्लीय टिप्पणी का विरोध करना त्रिपुरा के एक छात्र को अपनी जान से हाथ धोने की कीमत पर चुकाना पड़ा। त्रिपुरा के जनजातीय युवक एंजेल चकमा की इलाज के दौरान मौत के बाद पूरे राज्य में शोक के साथ-साथ गहरा आक्रोश फैल गया है। परिजनों और छात्र संगठनों ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

घटना का पूरा विवरण

घटना 9 दिसंबर की शाम की है। जानकारी के अनुसार, देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में एंजेल चकमा अपने छोटे भाई माइकल चकमा के साथ किराना सामान खरीदने निकले थे। इसी दौरान नशे में धुत कुछ स्थानीय युवकों ने दोनों भाइयों पर नस्लीय टिप्पणियां कीं और उनके शारीरिक रूप-रंग को लेकर अपमानजनक बातें कहीं। जब दोनों भाइयों ने इसका विरोध किया, तो विवाद बढ़ गया और देखते ही देखते हिंसा में बदल गया।

बेरहमी से किया गया हमला

आरोप है कि हमलावरों ने लोहे की रॉड और धारदार हथियारों से दोनों भाइयों पर हमला कर दिया। माइकल चकमा को सिर में गंभीर चोटें आईं, जबकि एंजेल चकमा पर गले और पेट पर धारदार हथियार से वार किया गया। खून से लथपथ एंजेल को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी हालत नाजुक बनी रही।

इलाज के दौरान मौत

एंजेल चकमा को गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया गया था। करीब पंद्रह दिनों तक उन्होंने जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष किया, लेकिन आखिरकार शुक्रवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी मौत की खबर मिलते ही परिवार और मित्रों में कोहराम मच गया।

त्रिपुरा पहुंचा पार्थिव शरीर

शनिवार को एंजेल चकमा का पार्थिव शरीर दिल्ली के रास्ते अगरतला लाया गया। हवाई अड्डे पर परिजन, छात्र संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। सभी ने नम आंखों से उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर को उनके घर ले जाया गया और फिर अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव, उनाकोटी जिले की ओर रवाना किया गया।

राज्यभर में आक्रोश

इस घटना ने न केवल त्रिपुरा बल्कि पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में गुस्सा और चिंता पैदा कर दी है। छात्र संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने इसे नस्लीय भेदभाव की एक गंभीर और अमानवीय घटना बताया है। पीड़ित परिवार ने मांग की है कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और कार्रवाई का आश्वासन

इस मामले में त्रिपुरा से भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से बातचीत कर दोषियों के खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग की। प्रतिमा भौमिक ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है और उत्तर-पूर्व के युवाओं के साथ किसी भी तरह का भेदभाव स्वीकार्य नहीं है।

वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए एंजेल चकमा के परिजनों से फोन पर बातचीत की। मुख्यमंत्री ने परिवार को भरोसा दिलाया कि मामले में सभी दोषियों के खिलाफ पूरी सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

क्यों अहम है यह मामला

यह मामला देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ाई या काम के लिए जाने वाले उत्तर-पूर्व के छात्रों के साथ होने वाले नस्लीय व्यवहार की एक बार फिर पोल खोलता है। यह घटना बताती है कि नस्लीय भेदभाव आज भी एक गंभीर सामाजिक समस्या बना हुआ है, जिस पर सख्त कानून और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई की जरूरत है।

 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.