आरएसएस से अनुशासन सीखने की बात पर थरूर ने दिग्विजय सिंह का साथ दिया
आरएसएस की संगठनात्मक क्षमता की प्रशंसा पर मचे सियासी घमासान के बीच शशि थरूर ने कहा— अनुशासन और संगठन हर पार्टी की ज़रूरत
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शशि थरूर ने आरएसएस से अनुशासन और संगठन सीखने की बात कही
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दिग्विजय सिंह के बयान का समर्थन, कांग्रेस को मज़बूत करने पर ज़ोर
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पीएम मोदी की पुरानी तस्वीर साझा करने से शुरू हुआ विवाद
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विवाद बढ़ने पर दिग्विजय सिंह ने दी सफ़ाई, विचारधारा पर कायम रहने का दावा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 28 दिसंबर: कांग्रेस के भीतर संगठन और अनुशासन को लेकर चल रही बहस के बीच आरएसएस पर दिए गए बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल तेज़ कर दी है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए अनुशासन और मज़बूत संगठन बेहद ज़रूरी है।
शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस का 140 वर्षों का लंबा इतिहास रहा है और पार्टी को न केवल अपने अनुभवों से, बल्कि दूसरों से भी सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अनुशासन और संगठन की मजबूती जैसी बातें सीखी जा सकती हैं।
आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति पर थरूर की टिप्पणी
थरूर ने कहा, “मैं भी चाहता हूँ कि कांग्रेस संगठन और अधिक मज़बूत और अनुशासित बने। दिग्विजय सिंह जो कह रहे हैं, वह संगठनात्मक संदर्भ में सही है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी पार्टी में आंतरिक अनुशासन के बिना दीर्घकालिक सफलता संभव नहीं है।
क्या था दिग्विजय सिंह का बयान
दरअसल, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी, जिसमें वह लालकृष्ण आडवाणी के पैरों के पास बैठे दिख रहे हैं।
तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा था कि आरएसएस का एक जमीनी
स्वयंसेवक नीचे से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बना— यह संगठन की शक्ति को दर्शाता है। इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर और बाहर दोनों जगह प्रतिक्रियाएँ तेज़ हो गईं।
राहुल गांधी को दी गई थी नसीहत
इससे पहले 19 दिसंबर को दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी, को संगठन पर अधिक ध्यान देने और व्यावहारिक विकेंद्रीकरण अपनाने की सलाह भी दी थी। उस पोस्ट को भी पार्टी के अंदर एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा गया था।
विवाद बढ़ने पर दी सफ़ाई
विवाद बढ़ने के बाद दिग्विजय सिंह ने सफ़ाई देते हुए कहा कि उनका बयान गलत संदर्भ में पेश किया गया। उन्होंने साफ़ किया कि वह कांग्रेस की विचारधारा के साथ हमेशा खड़े रहे हैं और सांप्रदायिक ताकतों के विरोध में लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं। उनके मुताबिक, संगठन को मज़बूत करने की ज़रूरत हर राजनीतिक दल में होती है और उनका आशय भी यही था।