नोटबंदी जैसा विनाशकारी फैसला VB-G RAM G एक्ट पर राहुल का हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा— बिना कैबिनेट सलाह और अध्ययन के मनरेगा को खत्म करना गरीबों और राज्यों पर सीधा हमला है
VB-G RAM G एक्ट को राहुल गांधी ने नोटबंदी जैसा “विनाशकारी निर्णय” बताया
5 जनवरी से कांग्रेस शुरू करेगी ‘MGNREGA बचाओ अभियान’
राहुल का आरोप— प्रधानमंत्री ने अकेले लिया फैसला
नए कानून में ग्रामीण मजदूरों को 125 दिन रोजगार का प्रावधान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 27 दिसंबर: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मनरेगा की जगह लाए गए VB-G RAM G एक्ट को लेकर केंद्र की BJP नीत NDA सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने इस फैसले को नोटबंदी जैसा बताते हुए कहा कि यह राज्यों और गरीबों पर एक “विनाशकारी हमला” है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकेले लिया।
नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस अहम कानून को लागू करने से पहले न तो कैबिनेट से चर्चा की गई और न ही इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का कोई गंभीर अध्ययन किया गया। उन्होंने कहा कि मनरेगा को खत्म करना देश के संघीय ढांचे और अधिकार-आधारित विकास नीति पर सीधा प्रहार है।
पूरा विपक्ष करेगा विरोध
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस इस कानून का हर स्तर पर विरोध करेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट होगा। राहुल ने कहा कि सरकार का यह कदम गरीब और ग्रामीण भारत की सुरक्षा प्रणाली को कमजोर करने जैसा है।
5 जनवरी से ‘MGNREGA बचाओ अभियान
कांग्रेस नेता ने घोषणा की कि पार्टी 5 जनवरी से देशभर में ‘MGNREGA बचाओ अभियान’ शुरू करेगी। इस अभियान के जरिए कांग्रेस सरकार के फैसले के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाएगी और ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन करेगी।
मनरेगा सिर्फ योजना नहीं, विकास का मॉडल
राहुल गांधी ने कहा कि UPA सरकार के दौरान शुरू की गई मनरेगा केवल रोजगार उपलब्ध कराने की योजना नहीं थी, बल्कि यह एक अधिकार-आधारित विकास ढांचा था, जिसकी सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी की गई। उनका कहना था कि इसे खत्म करना गरीबों से उनके कानूनी अधिकार छीनने जैसा है।
क्या है VB-G RAM G एक्ट?
करीब 20 साल पुराने मनरेगा कानून की जगह लेने वाला VB-G RAM G बिल हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित किया गया। इस नए अधिनियम के तहत ग्रामीण श्रमिकों को साल में 125 दिन के वेतन रोजगार देने का प्रावधान किया गया है।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह कानून मनरेगा की मूल भावना और रोजगार की गारंटी को कमजोर करता है।