तुलसी पूजन दिवस: आस्था, आयुर्वेद और संस्कृति से जुड़ा विशेष दिन

सनातन परंपरा में तुलसी को पूजनीय स्थान, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक

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  • दिसंबर को देशभर में मनाया जाता है तुलसी पूजन दिवस
  • आयुर्वेद और शास्त्रों में तुलसी को औषधीय एवं सात्त्विक पौधा माना गया
  • घर-आंगन में तुलसी का होना शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक
  • तुलसी-माला और परिक्रमा को धार्मिक व मानसिक शांति से जोड़ा गया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 25 दिसंबर: आज यानी 25 दिसंबर को देशभर में तुलसी पूजन दिवस मनाया जा रहा है। सनातन परंपरा में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी स्वरूप माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी का पूजन करने से घर में सुख-शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शुद्धता का संचार होता है।

आयुर्वेद में तुलसी का महत्व

आयुर्वेद में तुलसी को त्रिदोषशामक औषधि माना गया है। माना जाता है कि तुलसी का उपयोग ज्वर, खाँसी, पाचन संबंधी समस्याओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। तुलसी की पत्तियों, जड़ और बीजों का प्रयोग प्राचीन काल से घरेलू उपचारों में किया जाता रहा है।

तुलसी-माला और जप की परंपरा

धार्मिक ग्रंथों में तुलसी की लकड़ी से बनी माला को विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी-माला पर जप करने को मानसिक शांति और सात्त्विक जीवनशैली से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि तुलसी-माला धारण करने से व्यक्ति के स्वभाव में संयम और सकारात्मकता आती है।

घर-आंगन की तुलसी और सामाजिक परंपरा

भारतीय समाज में घर के आंगन में तुलसी का पौधा होना शुभ माना जाता है। सुबह-शाम दीप प्रज्वलन, परिक्रमा और पूजन की परंपरा आज भी अनेक परिवारों में निभाई जाती है। इसे परिवार, पर्यावरण और आध्यात्मिक चेतना से जोड़कर देखा जाता है।

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