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निखिल कामथ और किशोर बियाणी ने शुरुआती स्टार्टअप्स के लिए ‘द फाउंड्री’ नामक रेज़िडेंशियल प्रोग्राम शुरू किया।
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90 दिनों का यह गहन कार्यक्रम उद्यमियों को फंडिंग-रेडी और बाज़ार-उपयुक्त वेंचर्स तैयार करने में मदद करेगा।
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अलीबाग में संचालित इस पहल में देश के प्रमुख उद्यमी, निवेशक और रणनीतिकार मेंटर की भूमिका निभाएँगे।
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‘द फाउंड्री’ का लक्ष्य विचार और क्रियान्वयन के बीच की खाई को कम कर स्टार्टअप असफलताओं को घटाना है।
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 23 दिसंबर : भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई दिशा देने की कोशिश में उद्योग जगत के दो बड़े नाम—निखिल कामथ और किशोर बियाणी—ने मिलकर ‘द फाउंड्री’ नामक एक रेज़िडेंशियल बिज़नेस प्रोग्राम की शुरुआत की है। यह पहल विशेष रूप से शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स और पहली बार उद्यमिता की राह पर निकलने वाले संस्थापकों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
90 दिनों में स्टार्टअप को ‘फंडिंग-रेडी’ बनाने का लक्ष्य
‘द फाउंड्री’ को 90 दिनों के एक गहन और संरचित कार्यक्रम के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को केवल विचार देने तक सीमित न रखते हुए उन्हें फंडिंग-रेडी और बाज़ार में उतरने योग्य वेंचर्स के सह-संस्थापक के रूप में तैयार करना है। यह कार्यक्रम महाराष्ट्र के अलीबाग में संचालित किया जाएगा, जहां प्रतिभागी एक साथ रहकर सीखेंगे, प्रयोग करेंगे और अपने आइडिया को व्यावहारिक रूप देंगे।
आइडिया से बाज़ार तक: पूरी यात्रा पर फोकस
कार्यक्रम के दौरान उद्यमियों को आइडिया वैलिडेशन, प्रोडक्ट–मार्केट फिट, निवेश की तैयारी, बिज़नेस स्ट्रक्चर और पूंजी तक पहुंच जैसे अहम पहलुओं पर मार्गदर्शन मिलेगा। संस्थापकों के अनुसार, भारत में स्टार्टअप असफलता का एक बड़ा कारण विचार और उसके क्रियान्वयन के बीच की दूरी है, जिसे ‘द फाउंड्री’ पाटने की कोशिश करेगा।
अनुभवी मेंटर्स का मजबूत नेटवर्क
इस पहल से भारत के स्टार्टअप, निवेश, कॉरपोरेट और शैक्षणिक जगत के कई दिग्गज जुड़े हैं। प्रमुख मेंटर्स में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा, स्नैपडील के कुणाल बहल और बिज़नेस रणनीतिकार रमा बिजापुरकर शामिल हैं। इनके अलावा मिथुन सचेती, वरुण बेरी, आकाश चौधरी, ब्रांड विशेषज्ञ संतोष देसाई, प्रशांत प्रकाश, एआई उद्यमी आकृत वैष और वेंचर कैपिटलिस्ट कार्तिक रेड्डी भी मार्गदर्शन देंगे।
बदलते भारत में उद्यमिता का नया मॉडल
संवैधानिक रूप से उद्यम की स्वतंत्रता और आर्थिक अवसरों के विस्तार को बढ़ावा देने वाले भारत में स्टार्टअप संस्कृति पिछले एक दशक में तेज़ी से विकसित हुई है। ऐसे समय में ‘द फाउंड्री’ जैसे हाई-इंटेंसिटी मंच को शुरुआती असफलताओं को कम करने, नवाचार को बढ़ावा देने और पहले दिन से ही विस्तार योग्य व्यवसाय तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयोग माना जा रहा है।