तेलंगाना : 2029 विधानसभा चुनाव पहले के. कविता की नई राजनीतिक पार्टी
तेलंगाना जागृति को चुनावी राजनीति में उतारने की घोषणा, बीआरएस में वापसी से साफ इनकार
हैदराबाद, 23 दिसंबर:
पूर्व सांसद और कभी भारत राष्ट्र समिति (BRS) की प्रमुख नेता रहीं के. कविता ने 2029 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने का औपचारिक ऐलान कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका सामाजिक संगठन तेलंगाना जागृति अब एक पूर्ण राजनीतिक दल के रूप में चुनावी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएगा।
तेलंगाना जागृति अब बनेगा पूर्ण राजनीतिक दल
जोगुलांबा गडवाल जिले के दौरे के दौरान के. कविता ने कहा कि उनकी पार्टी 2029 के विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से मैदान में उतरेगी। हालांकि, पार्टी के नाम को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा,
“आगामी विधानसभा चुनावों में जागृति जनता के बीच होगी। पार्टी का नाम वही रहेगा या बदला जाएगा, इस पर विचार चल रहा है, लेकिन 2029 में हम चुनाव जरूर लड़ेंगे।”
बीआरएस से निष्कासन के बाद साफ रुख, केसीआर की पार्टी में वापसी से इनकार
गौरतलब है कि के. कविता को सितंबर 2024 में कथित पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में भारत राष्ट्र समिति से निष्कासित कर दिया गया था। इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी हाल में अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा स्थापित पार्टी में वापस नहीं लौटेंगी। उनके मुताबिक, अब उनका राजनीतिक रास्ता पूरी तरह अलग है।
2019 की हार पर आंतरिक राजनीति का आरोप
अपने जमीनी संपर्क अभियान “माना ऊरु–माना एमपी” का जिक्र करते हुए के. कविता ने कहा कि जनता से उनका संवाद लगातार बना हुआ है और लोगों के मुद्दों को वह नजदीक से समझ रही हैं। साथ ही, उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी हार को लेकर पार्टी के भीतर की आंतरिक राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। बिना किसी का नाम लिए दिए गए इस बयान को राजनीतिक गलियारों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, खासकर उनके भाई के. टी. रामाराव, की ओर संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
भावुक लहजे में के. कविता ने यह भी कहा कि उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध विधान परिषद का सदस्य बनाया गया, जिससे उन्हें व्यक्तिगत रूप से गहरा आघात पहुँचा । उन्होंने स्वीकार किया कि अब उनकी राजनीतिक सोच और दृष्टिकोण भारत राष्ट्र समिति की मौजूदा कार्यशैली और दिशा से मेल नहीं खाते।
नई पार्टी की रणनीति: जनता की भागीदारी और सांस्कृतिक पहचान पर जोर
अपनी आगे की रणनीति पर बात करते हुए के. कविता ने कहा कि उनकी नई पार्टी जनता की भागीदारी को मजबूत करने, तेलंगाना की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने और राज्य को एक नया राजनीतिक विकल्प देने पर केंद्रित होगी। उन्होंने कहा,
“केसीआर के बाद तेलंगाना की राजनीति को नए बदलाव की जरूरत है। मैं अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाकर जनता के सामने एक अलग विकल्प रखना चाहती हूं।”
गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत में ही के. कविता ने औपचारिक रूप से भारत राष्ट्र समिति से दूरी बना ली थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी यह घोषणा 2029 के विधानसभा चुनाव से पहले तेलंगाना की राजनीति में नए समीकरण और संभावित ध्रुवीकरण को जन्म दे सकती है।