- भारत–न्यूजीलैंड ने FTA के तहत वित्तीय सेवाओं पर परिशिष्ट वार्ता पूरी की।
- डिजिटल भुगतान, फिनटेक और सीमा पार धन प्रेषण को मिलेगा बढ़ावा।
- भारतीय बैंकों और बीमा कंपनियों को न्यूजीलैंड में समान व्यवहार सुनिश्चित।
- निवेश, बैक-ऑफिस सेवाओं और संस्थागत उपस्थिति के नए अवसर खुलेंगे।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 दिसंबर:भारत और न्यूजीलैंड ने अपने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत वित्तीय सेवाओं से जुड़े परिशिष्ट पर सफलतापूर्वक वार्ता पूरी कर ली है। 22 दिसंबर 2025 को संपन्न यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नया आयाम देने वाला माना जा रहा है। अंतिम दौर की बातचीत 10 दिसंबर को हुई थी, जिसके बाद इस सहमति को औपचारिक रूप दिया गया।
वित्तीय सेवाओं में गहरा और संतुलित सहयोग
यह समझौता वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के साझा संकल्प को दर्शाता है। इसका उद्देश्य बाजार पहुँच को सरल बनाना, नियामक स्पष्टता सुनिश्चित करना और दोनों देशों की वित्तीय प्रणालियों के बीच भरोसेमंद तालमेल विकसित करना है। 18 अनुच्छेदों में तैयार यह परिशिष्ट पारंपरिक बहुपक्षीय व्यापार प्रतिबद्धताओं से आगे जाकर द्विपक्षीय वित्तीय साझेदारी को मजबूत करता है।
डिजिटल भुगतान और सीमा पार लेनदेन पर फोकस
समझौते के तहत भारत और न्यूजीलैंड ने डिजिटल भुगतान प्रणालियों के आपसी एकीकरण और सीमा पार त्वरित धन प्रेषण को बढ़ावा देने पर सहमति जताई है। इससे भारत की मजबूत डिजिटल भुगतान संरचना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। साथ ही प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले धन के प्रवाह में भी तेजी आने की संभावना है, जिससे भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं को नए अवसर मिलेंगे।
फिनटेक और नवाचार में साझेदारी
वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग इस समझौते का अहम स्तंभ है। दोनों देशों ने नियामक प्रयोगशालाओं (रेगुलेटरी सैंडबॉक्स) और नवाचार से जुड़े अनुभव साझा करने पर सहमति जताई है। इससे भारतीय फिनटेक कंपनियों को विकसित अर्थव्यवस्था के साथ काम करने का अवसर मिलेगा और भारत को वैश्विक फिनटेक हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
डाटा सुरक्षा और भेदभाव रहित व्यवहार
समझौते में यह स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय सूचनाओं के हस्तांतरण, भंडारण और प्रसंस्करण पर प्रत्येक देश के अपने कानून लागू रहेंगे। उपभोक्ता गोपनीयता और डाटा संप्रभुता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इसके साथ ही भारतीय बैंकों और बीमा कंपनियों को न्यूजीलैंड में स्थानीय संस्थानों के समान व्यवहार मिलेगा, जिससे किसी भी प्रकार के भेदभाव की संभावना कम होगी।
निवेश और बैक-ऑफिस सेवाओं को बढ़ावा
वित्तीय सेवाओं के बैक-ऑफिस और सहायक कार्यों में भारत की सूचना प्रौद्योगिकी क्षमता का लाभ उठाने पर सहमति बनी है। बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने और बैंक शाखाओं के विस्तार का भी प्रावधान किया गया है। वर्तमान में भारत के दो बैंक न्यूजीलैंड में चार शाखाओं के माध्यम से कार्यरत हैं, जबकि न्यूजीलैंड की कोई वित्तीय संस्था भारत में मौजूद नहीं है।