बांग्लादेश में कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रही अंतरिम सरकार: शेख हसीना

हिंसा और अशांति पर पूर्व प्रधानमंत्री का बड़ा आरोप, अंतरिम सरकार को बताया अनुभवहीन

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  • शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
  • उस्मान हादी की हत्या के बाद ढाका में हिंसक प्रदर्शन, मीडिया संस्थानों पर हमले और आगजनी।
  • अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और सुरक्षा हालात पर गंभीर चिंता जताई।
  • शेख हसीना ने कहा—हिंसा से भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता प्रभावित होगी।

समग्र समाचार सेवा
ढाका | 22 दिसंबर: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में बढ़ती हिंसा और अस्थिर हालात को लेकर अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कट्टरपंथी तत्वों को सत्ता के केंद्र में जगह दी है और दोषी आतंकवादियों को जेल से रिहा किया गया है, जिससे देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन को खतरा पैदा हो गया है।

उस्मान हादी की हत्या के बाद बिगड़े हालात
छात्र नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता उस्मान हादी की हत्या के बाद राजधानी ढाका में व्यापक अशांति फैल गई। 12 दिसंबर को बिजयनगर इलाके में उन पर नजदीक से गोली चलाई गई थी। गंभीर रूप से घायल हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद कई दिनों तक हिंसक प्रदर्शन हुए, मीडिया संस्थानों पर हमले किए गए और कई इमारतों में आगजनी की घटनाएं सामने आईं।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता
शेख हसीना ने कहा कि मौजूदा हालात में देश के अल्पसंख्यक समुदाय सबसे अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार हिंसा को नियंत्रित करने में असफल रही है और अराजकता लगातार बढ़ रही है। उनके अनुसार, इस स्थिति पर भारत सहित पड़ोसी देश भी नजर बनाए हुए हैं।

धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर संकट
पूर्व प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश की राजनीति का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप, जो देश की सबसे बड़ी ताकत रहा है, अब खतरे में है। उन्होंने कहा कि कुछ चरमपंथी ताकतें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने स्वीकार्य चेहरा दिखाने के लिए अंतरिम सरकार का उपयोग कर रही हैं, जबकि देश की संस्थाओं को भीतर से कमजोर किया जा रहा है।

शेख हसीना ने साफ किया कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो इसका असर केवल बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता पर पड़ेगा।

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