अल्पसंख्यकों से एकजुट होने की अपील, ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला

कोलकाता में तृणमूल कार्यकर्ताओं की बैठक में ममता ने SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल, बोलीं– बंगाल के बाद दिल्ली की बारी

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  • ममता बनर्जी ने भाजपा पर समाज को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया
  • विशेष गहन पुनरीक्षण में लाखों मतदाताओं के नाम हटने को बताया लोकतंत्र के लिए खतरा
  • निर्वाचन आयोग पर पक्षपात और जल्दबाजी का गंभीर आरोप
  • कार्यकर्ताओं से मतदाता सूची पर कड़ी निगरानी रखने की अपील

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता | 22 दिसंबर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम में तृणमूल कांग्रेस के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक समुदायों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर विभाजन की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि “बंगाल के बाद हम भाजपा से दिल्ली छीन लेंगे।”

ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में भाजपा अपने धनबल के जरिए समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि केवल जमीनी स्तर के तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता ही भाजपा को राज्य में पैर जमाने से रोक सकते हैं।

विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग पर हमला
मुख्यमंत्री ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर निर्वाचन आयोग पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि एसआईआर के बाद जारी ड्राफ्ट सूची में गंभीर खामियां हैं और हजारों वास्तविक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग राज्य सरकार को सूचित किए बिना पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर रहा है और यह पूरी प्रक्रिया भाजपा के फायदे के लिए की जा रही है।

ममता बनर्जी ने बताया कि ड्राफ्ट सूची से 58,20,899 नाम हटाए गए हैं, जिससे राज्य में मतदाताओं की संख्या घटकर करीब 7.08 करोड़ रह गई है। इसके अलावा लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं की पहचान में विसंगति पाई गई है और करीब 30 लाख मतदाताओं को ‘अनमैप्ड’ श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें 45 दिनों के भीतर सत्यापन के लिए बुलाया जा सकता है।

दो महीने में विशेष गहन पुनरीक्षण पूरा करने पर सवाल
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जिस प्रक्रिया में सामान्यतः दो साल लगते हैं, उसे जबरन दो महीने में पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के सत्यापन के लिए नियुक्त कई केंद्रीय अधिकारी स्थानीय भाषा से परिचित नहीं हैं, जिससे प्रक्रिया और अधिक संदिग्ध हो जाती है।

ममता बनर्जी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मतदाता सूचियों में बाहरी लोगों के नाम जोड़ने की कोशिशों पर नजर रखें और समय रहते आपत्तियां दर्ज कराएं। साथ ही उन्होंने मतुआ समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाया कि उन्हें मताधिकार से वंचित नहीं होने दिया जाएगा।

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