सरकारी प्रसारण से डिजिटल भविष्य : बदल रहा है प्रसार भारती का चेहरा

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पूनम शर्मा
कभी दूरदर्शन और आकाशवाणी को लेकर लोगों के मन में एक ही छवि बनती थी—सरकारी चैनल, सीमित दर्शक, तयशुदा कार्यक्रम और पुरानी शैली। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह तस्वीर तेजी से बदली है। आज प्रसार भारती सिर्फ टीवी और रेडियो तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि वह खुद को एक आधुनिक, डिजिटल, बहु-प्लैटफॉर्म और युवा-केंद्रित मीडिया नेटवर्क के रूप में स्थापित कर रहा है। यह बदलाव महज तकनीक का नहीं, बल्कि सोच, दृष्टि और दर्शकों से जुड़ने के तरीके का भी है।

WAVES: डिजिटल दुनिया में प्रसार भारती की नई पहचान

इस बदलाव की सबसे बड़ी झलक मिलती है WAVES OTT प्लेटफॉर्म से। नवंबर 2024 में लॉन्च हुआ यह प्लेटफॉर्म कुछ ही महीनों में 80 लाख से ज्यादा डाउनलोड पार कर चुका है। यह आंकड़ा अपने-आप में बताता है कि दर्शक, खासकर मोबाइल और डिजिटल पीढ़ी, अब सरकारी कंटेंट को भी नए फॉर्म में अपनाने को तैयार हैं।

WAVES पर केवल पुराने लोकप्रिय धारावाहिक ही नहीं हैं, बल्कि लाइव टीवी, लाइव रेडियो, ई-बुक्स, गेम्स, लाइव इवेंट, शिक्षा, संस्कृति और स्थानीय कंटेंट भी मौजूद हैं। यानी एक ही प्लेटफॉर्म पर मनोरंजन, जानकारी और संस्कृति का संगम। पुरानी यादों से जुड़े कार्यक्रम बुजुर्ग दर्शकों को जोड़ते हैं, तो नए फॉर्मेट और डिजिटल-फर्स्ट कंटेंट युवा दर्शकों को आकर्षित करते हैं।

सबसे अहम बात यह है कि WAVES पर कंटेंट 80 से ज्यादा जॉनर और 26 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है। भारत जैसे बहुभाषी देश में यह कदम प्रसार भारती को सच मायनों में “सबका मंच” बनाता है।

कंटेंट सिर्फ दिखाना नहीं, कमाना भी

प्रसार भारती अब इस सच्चाई को समझ चुका है कि टिकाऊ मीडिया मॉडल के लिए कंटेंट का आर्थिक मूल्य भी जरूरी है। इसी सोच के तहत Draft Content Syndication Policy 2025 तैयार की गई है। इसके जरिए दूरदर्शन और आकाशवाणी के आर्काइव, लाइव कार्यक्रम और डिजिटल-फर्स्ट कंटेंट को तीसरे पक्ष के प्लेटफॉर्म्स पर लाइसेंस या साझेदारी के जरिए उपलब्ध कराया जा सकेगा।

इसका फायदा दोहरा है—एक तरफ कंटेंट से कमाई होगी, दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति, संगीत और विचार दुनिया के अलग-अलग कोनों तक पहुंचेंगे। WAVES पर Pay-Per-View (PPV) मॉडल की शुरुआत भी इसी दिशा में एक कदम है, जहां कंटेंट क्रिएटर्स को उनके व्यूज के आधार पर भुगतान मिलेगा। यह सरकारी प्लेटफॉर्म को भी कंटेंट-क्रिएटर-फ्रेंडली बनाने की कोशिश है।

तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर का नया दौर

तकनीकी बदलाव के बिना यह रूपांतरण संभव नहीं था। BIND (Broadcasting Infrastructure and Network Development) योजना के तहत ₹2,500 करोड़ से अधिक का निवेश पुराने सिस्टम को बदलने, स्टूडियो को डिजिटल-रेडी बनाने और दूर-दराज के इलाकों तक बेहतर कवरेज सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।

आज दूरदर्शन और आकाशवाणी HD प्रसारण, आधुनिक ट्रांसमीटर और डिजिटल सिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं। इसका सीधा असर दर्शकों को मिलने वाली क्वालिटी और पहुंच पर पड़ता है। अब सरकारी प्रसारण “कमजोर सिग्नल” या “पुरानी तकनीक” की पहचान से बाहर निकल रहा है।

स्थानीय आवाज़ों को मंच

प्रसार भारती की एक बड़ी ताकत हमेशा से उसकी क्षेत्रीय पहुंच रही है। अब इसी ताकत को डिजिटल रूप दिया जा रहा है। स्थानीय कलाकारों, संगीतकारों और कंटेंट निर्माताओं को मौका देकर क्षेत्रीय कहानियों, लोककला और संस्कृति को राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर लाया जा रहा है।

कंटेंट सोर्सिंग नियमों को आसान बनाना इसी दिशा में बड़ा कदम है। इससे छोटे-बड़े प्रोड्यूसर्स बिना ज्यादा जटिलताओं के अपने कार्यक्रम दूरदर्शन और आकाशवाणी के लिए बना सकते हैं। नतीजा—ज्यादा विविधता, ज्यादा स्थानीय रंग और ज्यादा जुड़ाव।

लाइव इवेंट और भरोसेमंद जानकारी

आज के दौर में लाइव कवरेज की अहमियत बढ़ गई है। प्रसार भारती राष्ट्रीय कार्यक्रमों, त्योहारों, खेल आयोजनों और सरकारी कार्यक्रमों—जैसे मन की बात, गणतंत्र दिवस, महाकुंभ—की सीधी प्रसारण के जरिए लोगों को घर बैठे जोड़ रहा है। यह भरोसेमंद और आधिकारिक जानकारी का एक मजबूत माध्यम बना हुआ है, खासकर ऐसे समय में जब सोशल मीडिया पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं।

डिजिटल इंडिया के साथ कदमताल

भारत में मनोरंजन और सूचना का उपभोग अब मोबाइल और स्मार्ट टीवी पर हो रहा है। प्रसार भारती ने इस बदलाव को स्वीकार करते हुए खुद को डिजिटल-फर्स्ट दिशा में ढाला है। पॉडकास्ट, डिजिटल सीरीज, OTT कंटेंट और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे फॉर्मेट्स युवा पीढ़ी से जुड़ने का जरिया बन रहे हैं।

एक नई पहचान की ओर

आज प्रसार भारती सिर्फ एक सरकारी प्रसारण संस्था नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ डिजिटल मीडिया हब है—जो परंपरा और तकनीक, संस्कृति और आधुनिकता, सूचना और मनोरंजन को एक साथ जोड़ रहा है। WAVES OTT, तकनीकी अपग्रेड, कंटेंट मॉनेटाइजेशन और स्थानीय कलाकारों की भागीदारी ने इसे नया चेहरा दिया है।

यह बदलाव दिखाता है कि अगर सोच बदले, तो सरकारी संस्थान भी समय के साथ चल सकते हैं। और शायद यही वजह है कि आज युवा दर्शक भी दोबारा दूरदर्शन और प्रसार भारती की ओर देखने लगे हैं—इस बार एक नए, डिजिटल और आत्मविश्वासी रूप में।

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