जंतर-मंतर प्रदर्शन केस में कांग्रेस नेता अलका लांबा पर आरोप तय
निषेधाज्ञा के बीच प्रदर्शन और पुलिस से धक्का-मुक्की के आरोपों को कोर्ट ने माना सुनवाई योग्य
-
निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद प्रदर्शन का आरोप
-
पुलिसकर्मियों के काम में बाधा डालने का मामला
-
वीडियो साक्ष्यों के आधार पर आरोप तय
-
बरी किए जाने की मांग कोर्ट ने ठुकराई
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 20 दिसंबर: जंतर-मंतर क्षेत्र में हुए एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ दिल्ली की अदालत ने आपराधिक आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह मामला केवल आरोप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरे ट्रायल के जरिए परखा जाना चाहिए।
पूरा मामला क्या है
यह घटना 29 जुलाई 2024 की बताई जा रही है, जब जंतर-मंतर इलाके में निषेधाज्ञा लागू थी और किसी भी बड़े प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी। अभियोजन पक्ष का दावा है कि इसके बावजूद प्रदर्शन आयोजित किया गया और अलका लांबा कथित तौर पर इसकी अगुवाई कर रही थीं। आरोप है कि इस दौरान पुलिस बैरिकेड्स को पार किया गया और सुरक्षाकर्मियों के निर्देशों की अनदेखी हुई।
अदालत में क्या पेश हुआ
कोर्ट के सामने वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की गई, जिनमें प्रदर्शन के दौरान तनावपूर्ण स्थिति दिखाई दी। अदालत के अनुसार, इन दृश्यों से यह संकेत मिलता है कि पुलिसकर्मियों को अपने कर्तव्य निभाने में बाधा पहुंची और सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हुई। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अश्विनी पंवार ने कहा कि ये तथ्य आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार बनाते हैं।
किन आरोपों में चलेगा मुकदमा
अदालत ने सार्वजनिक सेवक को कार्य से रोकने, सरकारी आदेश की अवज्ञा और सार्वजनिक मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं। इसके साथ ही अलका लांबा द्वारा दायर की गई डिस्चार्ज याचिका को भी अदालत ने खारिज कर दिया।
बचाव पक्ष की आपत्ति
बचाव पक्ष का कहना था कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और तय सीमा के भीतर ही हुआ। उनके अनुसार न तो किसी स्वतंत्र व्यक्ति का बयान है और न ही किसी को चोट लगने का प्रमाण। हालांकि, अदालत ने साफ किया कि इन सभी दलीलों पर विस्तार से विचार अब मुकदमे के दौरान किया जाएगा।