जी राम जी बिल 2025 पास होते ही संसद में घमासान, आधी रात में धरना
मनरेगा की जगह नया कानून लागू करने पर विवाद, विपक्ष ने बताया गरीब और मजदूर विरोधी
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जी राम जी बिल 2025 लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित
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मनरेगा की जगह 125 दिन रोजगार का नया कानून लाया गया
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विपक्षी सांसदों ने आधी रात संसद परिसर में धरना शुरू किया
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कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 19 दिसंबर: जी राम जी बिल 2025 संसद से पारित होने के बाद संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक टकराव चरम पर पहुंच गया। ग्रामीण रोजगार से जुड़े इस विधेयक के राज्यसभा से पारित होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके समेत कई विपक्षी दलों के सांसद आधी रात को संविधान सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। विपक्ष ने इस कानून को गरीब, किसान और मजदूर विरोधी बताते हुए लोकतंत्र पर हमला करार दिया।
विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण), यानी वीबी-जी राम जी बिल को राज्यसभा ने आधी रात के बाद ध्वनि मत से पारित किया। इससे पहले लोकसभा इस विधेयक को मंजूरी दे चुकी थी। यह नया कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की जगह लेगा। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन का मजदूरी रोजगार देने का प्रावधान किया गया है।
बिल के पारित होते ही विपक्षी सांसदों ने सरकार पर इसे जबरन पास कराने का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा उपनेता सागरिका घोष ने कहा कि विपक्ष को केवल पांच घंटे का नोटिस देकर इतना बड़ा विधेयक लाया गया और गंभीर बहस की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने मांग की कि बिल को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए था और इसे लोकतंत्र की हत्या बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस योजना से करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका जुड़ी थी, उसे खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे कृषि कानून वापस लिए गए थे, वैसे ही इस कानून को भी वापस लेना पड़ेगा। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे मजदूरों के लिए सबसे दुखद दिन बताया।
सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह कानून गरीबों के कल्याण और रोजगार के विस्तार के लिए लाया गया है। विधेयक के अनुसार फंड साझा करने का अनुपात केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 रहेगा, जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए यह 90:10 होगा। बिल के पारित होने के बाद अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, वहीं विपक्ष ने संसद के बाहर आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है।