5 लाख हादसे, युद्ध से ज्यादा मौतें सड़कों पर
लोकसभा में रोड एक्सिडेंट पर नितिन गडकरी का छलका दर्द, ‘राहवीर’ योजना का ऐलान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली |18 दिसंबर: भारत में सड़क हादसे एक गंभीर राष्ट्रीय संकट बन चुके हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े पेश करते हुए कहा कि देश में हर साल करीब 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.80 लाख लोगों की जान चली जाती है। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा युद्ध में होने वाली मौतों से भी ज्यादा है।
युवाओं पर सबसे बड़ा खतरा
गडकरी ने बताया कि सड़क हादसों में मरने वालों में 67 प्रतिशत लोग 18 से 34 वर्ष की उम्र के होते हैं। यह वही वर्ग है जो देश की आर्थिक और सामाजिक रीढ़ माना जाता है।
समय पर इलाज से बच सकती हैं 50 हजार जानें
मंत्री ने एम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को समय पर इलाज मिल जाए, तो हर साल करीब 50 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसी उद्देश्य से सरकार ने नई पहल शुरू की है।
‘राहवीर’ योजना: मदद करने वालों को इनाम
नितिन गडकरी ने कहा कि अक्सर लोग दुर्घटना के बाद घायल की मदद करने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि उन्हें पुलिस और कानूनी झंझट का डर रहता है। इस डर को खत्म करने के लिए सरकार ने घायलों की मदद करने वालों को ‘राहवीर’ की संज्ञा दी है।
- घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को ₹25,000 का इनाम
- किसी तरह की कानूनी परेशानी नहीं
- लोगों को बिना झिझक मदद के लिए आगे आने की अपील
7 दिन का इलाज, ₹1.5 लाख तक खर्च सरकार उठाएगी
गडकरी ने बताया कि घायल को जिस अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा, वहां के इलाज का खर्च भी सरकार वहन करेगी।
7 दिन तक का इलाज मुफ्त
₹1.5 लाख तक का चिकित्सा खर्च
राशि सीधे अस्पताल को ट्रांसफर की जाएगी
इससे अस्पतालों को भी इलाज से इनकार करने की कोई वजह नहीं रहेगी।
गडकरी का दर्द: नियमों के प्रति न डर, न सम्मान
मंत्री ने कहा,
“दुख के साथ कहना पड़ता है कि सड़क हादसों का सीधा संबंध लोगों के व्यवहार से है। ट्रैफिक नियमों के प्रति न सम्मान है और न डर।”
उन्होंने बताया कि सरकार ने:
- ट्रैफिक जागरूकता के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए
- अमिताभ बच्चन जैसे फिल्म सितारों को जोड़ा
- हर कार में 6 एयरबैग अनिवार्य किए
- नई दोपहिया खरीद पर 2 हेलमेट देना जरूरी किया
लेकिन इसके बावजूद जब तक लोग खुद जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक हादसों पर लगाम लगाना मुश्किल रहेगा।