दिल्ली के मज़दूरों को 10 हज़ार की आर्थिक सहायता देगी सरकार

भीषण वायु प्रदूषण के बीच 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य, मजदूरों के लिए सीधी मदद

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  • दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के चलते GRAP का चौथा चरण लागू
  • पंजीकृत मजदूरों को ₹10,000 की सीधी वित्तीय सहायता
  • सरकारी और निजी कार्यालयों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य
  • निर्माण कार्यों पर रोक और स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 18 दिसंबर: दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में GRAP का चौथा और सबसे कड़ा चरण लागू कर दिया गया है। इस गंभीर स्थिति के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने मजदूरों की आजीविका को सुरक्षित रखने के लिए पंजीकृत मजदूरों को ₹10,000 की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।

एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, बुधवार को दोपहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 326 दर्ज किया गया, जो हवा की बेहद खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और श्वास संबंधी रोगों से ग्रसित लोगों के लिए खतरनाक है।

GRAP-4 के तहत उठाए गए कदम
सख्त प्रदूषण नियंत्रण उपायों के तहत दिल्ली सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • सभी सरकारी और निजी कार्यालयों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य
  • निर्माण कार्यों पर रोक लगाना
  • भारी वाहनों की आवाजाही सीमित करना
  • डीजल जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध

इन उपायों का उद्देश्य प्रदूषण के स्तर को तुरंत कम करना और नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

मजदूरों के लिए राहत
दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि पंजीकृत मजदूरों को ₹10,000 की वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी। यह राशि उन मजदूरों के लिए राहत प्रदान करेगी, जिनकी आमदनी प्रदूषण और निर्माण कार्यों की रोक के कारण प्रभावित हो रही है।

सरकार ने इस योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू की है। दिल्ली में निर्माण कार्य करने वाले मजदूर अपने आप को रजिस्टर कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह पहल न केवल मजदूरों की आजीविका बचाएगी, बल्कि उन्हें इस कठिन प्रदूषण काल में आर्थिक स्थिरता भी प्रदान करेगी।

स्वास्थ्य और आजीविका दोनों का संरक्षण
सरकार ने कहा कि GRAP-4 अस्थायी कदम है और प्रदूषण स्तर सामान्य होने पर प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी। फिलहाल, इसका फोकस स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक राहत दोनों पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी योजनाएं न केवल तत्काल मदद करती हैं, बल्कि सरकार की संगठित और संवेदनशील नीति को भी दर्शाती हैं।

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