1.8 लाख किलो का शिवलिंग, चेन्नई से चंपारण के लिए रवाना
NH-44 पर आस्था का अद्भुत नज़ारा, रास्ते भर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
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1.80 लाख किलो वज़न और 30 फीट ऊंचा शिवलिंग 110 चक्कों वाले ट्रेलर पर परिवहन
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चेन्नई से चंपारण तक का सफर, NH-44 पर श्रद्धालुओं का उत्साह
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विराट रामायण मंदिर में होगी प्राण प्रतिष्ठा
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एक ही पत्थर से तराशा गया, 1008 लघु शिवलिंगों की नक्काशी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 18 दिसंबर: तमिलनाडु के चेन्नई से बिहार के चंपारण तक ले जाया जा रहा 30 फीट ऊंचा और 1 लाख 80 हजार किलो वज़न वाला विशालकाय शिवलिंग इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह अद्भुत शिवलिंग 110 चक्कों वाले विशेष ट्रेलर पर NH-44 के रास्ते आगे बढ़ रहा है। जबलपुर से नागपुर के बीच इसके गुजरने के दौरान जगह-जगह श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए जुटते नजर आ रहे हैं।
23 दिन पहले शुरू हुआ था सफर
ट्रेलर के चालक अरुण कुमार के अनुसार, शिवलिंग करीब 23 दिन पहले चेन्नई से रवाना हुआ था और अनुमान है कि अगले 20 दिनों में यह बिहार के चंपारण पहुंचेगा। भारी-भरकम संरचना और विशेष सुरक्षा उपायों के चलते यात्रा चरणबद्ध तरीके से पूरी की जा रही है।
विराट रामायण मंदिर में होगी स्थापना
इस शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा पूर्वी चंपारण जिले के जानकीनगर स्थित कैथवलिया गांव में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर में की जाएगी। मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा कराया जा रहा है। प्रस्तावित मुख्य मंदिर 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा, जिसमें 18 शिखर और कुल 22 अन्य मंदिर शामिल होंगे। मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट निर्धारित की गई है।
एक ही पत्थर से तराशा गया अद्भुत शिल्प
30 फीट ऊंचा यह शिवलिंग एक ही विशाल पत्थर से तराशा गया है। इसे विनायक वेंकटरमण की कंपनी ने लगभग 10 वर्षों की मेहनत से तैयार किया है, जिस पर करीब 3 करोड़ रुपये की लागत आई है। तमिलनाडु के महाबलीपुरम क्षेत्र के पट्टीकाडु गांव में वास्तुकार लोकनाथ के मार्गदर्शन में इस शिल्प को आकार दिया गया। शिवलिंग की विशेषता यह है कि इसकी सतह पर 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग भी उकेरे गए हैं, जो शिल्पकला की बारीकी को दर्शाते हैं।
रास्ते में उमड़ी आस्था
NH-44 पर जहां-जहां से यह शिवलिंग गुजर रहा है, वहां श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए रुक-रुककर पहुंच रहे हैं। कई स्थानों पर स्थानीय लोग फूल-माला और धूप-दीप से स्वागत कर रहे हैं, जिससे यह यात्रा एक आध्यात्मिक उत्सव का रूप ले चुकी है।