वाजपेयी ने राष्ट्रपति बनने से किया था इनकार,किताब में हुआ ख़ुलासा
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में भाजपा के प्रस्ताव को अस्वीकार किया, लोकतांत्रिक मिसाल बनाए रखने की सोच
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अशोक टंडन की पुस्तक में वाजपेयी और आडवाणी की भूमिका पर बड़ा खुलासा।
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भाजपा ने 2002 में वाजपेयी को राष्ट्रपति और आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने पर मंथन किया।
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वाजपेयी ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि इससे गलत मिसाल बनेगी।
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अटल और आडवाणी के रिश्ते में नीतिगत मतभेद के बावजूद सहयोग और संतुलन कायम रहा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 18 दिसंबर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार अशोक टंडन की पुस्तक अटल संस्मरण में बड़ा खुलासा हुआ है। पुस्तक में बताया गया है कि 2002 में भाजपा ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से पहले अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति और लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने पर मंथन किया था।
हालांकि, वाजपेयी ने पार्टी के इस प्रस्ताव को साफ तौर पर ठुकरा दिया। उनका कहना था कि बहुमत के आधार पर उन्हें राष्ट्रपति बनाने से भारतीय संसदीय लोकतंत्र में गलत मिसाल कायम होगी। टंडन ने पुस्तक में लिखा है कि अटल ने कभी भी इस तरह के कदम का समर्थन नहीं किया, क्योंकि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होता।
पुस्तक में अटल और आडवाणी के संबंधों का भी जिक्र किया गया है। कुछ नीतिगत मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं का सहयोग और विश्वास कायम रहा। आडवाणी ने हमेशा वाजपेयी को अपना नेता माना, जबकि वाजपेयी ने उन्हें अपने दृढ़ साथी के रूप में देखा। उनके बीच की यह साझेदारी भारतीय राजनीति में संतुलन और नेतृत्व का प्रतीक रही।
साथ ही, संस्मरण में 13 दिसंबर 2001 को संसद हमले का भी जिक्र किया गया है। उस समय लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं सोनिया गांधी ने वाजपेयी से फोन पर खैरियत पूछी थी। वाजपेयी अपने आवास पर सहयोगियों के साथ टीवी पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई देख रहे थे।