बिना गाड़ी रोके अब एआई से कटेगा टोल, 1500 करोड़ की होगी बचत
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में कहा, नई तकनीक से 6,000 करोड़ रुपये की राजस्व वृद्धि
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बहु लेन निर्बाध परिवहन (एमएलएफएफ) टोल प्रणाली 2026 तक पूरे देश में लागू होगी
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एआई और उपग्रह आधारित नंबर प्लेट पहचान के जरिए टोल पर प्रतीक्षा समाप्त
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नई प्रणाली से 1,500 करोड़ रुपये ईंधन की बचत और 6,000 करोड़ रुपये राजस्व वृद्धि
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टोल पर फास्टैग की जगह नई तकनीक से कारें 80 किमी/घंटा की रफ्तार से गुजर सकेंगी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 17 दिसंबर:राज्यसभा में बुधवार को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि बहु लेन निर्बाध परिवहन (एमएलएफएफ) टोल प्रणाली और एआई-संचालित राजमार्ग प्रबंधन पूरे देश में 2026 के अंत तक लागू कर दिया जाएगा। मंत्री गडकरी ने बताया कि नई तकनीक लागू होने के बाद टोल नाके पर यात्रियों को किसी भी तरह की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी और इससे समय की बचत के साथ-साथ ईंधन की भी काफी बचत होगी।
गडकरी ने सदन को जानकारी देते हुए कहा, “एमएलएफएफ प्रणाली पूरी तरह एआई आधारित होगी और इसमें उपग्रह के माध्यम से नंबर प्लेट की पहचान तकनीक और फास्टैग सिस्टम शामिल है। इसका उद्देश्य टोल पार करने में लगने वाले समय को न्यूनतम करना है। इससे टोल चोरी भी समाप्त हो जाएगी और टोल पार करना अब और अधिक सहज होगा।”
उन्होंने बताया कि वर्तमान में टोल पर तीन से दस मिनट तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी, जबकि फास्टैग प्रणाली के आने के बाद यह समय घटकर केवल 60 सेकंड या उससे कम रह गया है। एमएलएफएफ तकनीक के लागू होने के बाद वाहन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टोल पार कर सकेंगे, और इस प्रक्रिया में कोई वाहन रोका नहीं जाएगा।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह प्रणाली केवल राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू होगी। उन्होंने सदस्यों से कहा कि सोशल मीडिया पर कभी-कभी राज्य और शहर की सड़कों की समस्याओं को राष्ट्रीय राजमार्ग की समस्या के रूप में पेश किया जाता है, जबकि वास्तविकता अलग है।
इस नई तकनीक से न केवल यात्रियों का समय बचेगा, बल्कि देश को 1,500 करोड़ रुपये की ईंधन बचत और 6,000 करोड़ रुपये की राजस्व वृद्धि भी होगी। गडकरी ने कहा कि सरकार की यह पहल पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त संचालन सुनिश्चित करेगी और राजमार्गों पर यात्रा अनुभव को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगी।
एमएलएफएफ प्रणाली के आने से देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की प्रबंधन क्षमता में सुधार होगा और भारत के सड़क परिवहन ढांचे में एक नई क्रांति आएगी। इस तकनीक से राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात प्रवाह तेज होगा और यात्री अब टोल नाकों पर लंबी कतारों की चिंता से मुक्त रहेंगे।