खरगे बोले– पीएम मोदी और अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए

दिल्ली की अदालत द्वारा ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों पर संज्ञान लेने से इनकार के बाद कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया

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  • दिल्ली कोर्ट ने ईडी के आरोपों पर संज्ञान लेने से किया इनकार
  • मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी और अमित शाह से इस्तीफे की मांग की
  • कांग्रेस ने जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग का लगाया आरोप
  • अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा– केस की कोई कानूनी नींव नहीं थी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 17 दिसंबर: नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों पर संज्ञान लेने से इनकार किए जाने के बाद देश की सियासत में नया भूचाल आ गया है। अदालत के फैसले को कांग्रेस ने अपनी बड़ी कानूनी और नैतिक जीत बताया है। फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की माँग  कर दी।

खरगे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला पूरी तरह राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने जाँच  एजेंसियों का दुरुपयोग कर गांधी परिवार और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया। खरगे के मुताबिक, वर्षों तक गांधी परिवार को बेवजह परेशान किया गया और इसका मकसद केवल राजनीतिक दबाव बनाना था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अदालत का फैसला यह साबित करता है कि इस मामले में कोई ठोस कानूनी आधार नहीं था। उन्होंने कहा, “हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। सत्य की हमेशा जीत होती है। यह फैसला संविधान और न्याय व्यवस्था में विश्वास को मजबूत करता है।”

जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप

खरगे ने दावा किया कि ईडी का इस्तेमाल कर कई सांसदों और विधायकों को डराया गया और उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी रणनीति के तहत कई राज्यों में सरकारें बनाई गईं और गिराई गईं। कांग्रेस ने इस पूरे मामले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इस केस में सत्ता के दबाव में संविधान की भावना को कमजोर करने की कोशिश की गई। सिंघवी के अनुसार, यह मामला 2014 में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ था।

लंबी पूछताछ पर सवाल

अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि 2021 से 2025 के बीच राहुल गांधी से करीब 50 घंटे, सोनिया गांधी से 8 घंटे और मल्लिकार्जुन खरगे से 6 घंटे तक पूछताछ की गई। उन्होंने कहा कि यह सब उस केस में किया गया, जिसकी कोई कानूनी नींव ही नहीं थी। सिंघवी ने दावा किया कि 2014 से 2021 तक सीबीआई और ईडी ने अपनी आंतरिक फाइलों में साफ लिखा था कि इस मामले में कोई प्रेडिकेट ऑफेंस नहीं बनता। इसके बावजूद जून 2021 में अचानक एफआईआर दर्ज कर दी गई। अब अदालत ने उसी एफआईआर पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है।कांग्रेस ने 3 अक्टूबर को दर्ज नई एफआईआर को भी राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। सिंघवी ने कहा कि बिना कानूनी नींव के खड़ा किया गया मामला कोर्ट में अपने आप गिर गया। उन्होंने कहा कि पार्टी नई एफआईआर का भी कानूनी तरीके से जवाब देगी।

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