दिल्ली चुनाव प्रचार में पैसे खर्च करने में कांग्रेस सबसे आगे

एडीआर रिपोर्ट में खुलासा, भाजपा से ज्यादा प्रचार खर्च के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली

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  • कांग्रेस ने पार्टी प्रचार और सोशल मीडिया पर भाजपा से ज्यादा खर्च किया
  • सोशल मीडिया कैंपेन में कांग्रेस का खर्च सबसे ज्यादा 5.95 करोड़ रुपये
  • 46 करोड़ खर्च के बावजूद कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला
  • भाजपा कम खर्च में 48 सीटें जीतने में रही सफल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 17 दिसंबर: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की रणनीति और खर्च को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने पार्टी प्रचार और सोशल मीडिया कैंपेन पर भारतीय जनता पार्टी से अधिक पैसा खर्च किया, लेकिन इसके बावजूद पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।

चुनाव आयोग को सौंपी गई खर्च रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली चुनावों में भाजपा का कुल खर्च 57.65 करोड़ रुपये रहा, जबकि कांग्रेस ने 46.19 करोड़ रुपये खर्च किए। हालांकि, पार्टी प्रचार के मामले में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया। कांग्रेस ने प्रचार पर 40.13 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि भाजपा का यह आंकड़ा 39.14 करोड़ रुपये रहा।

सबसे चौंकाने वाला तथ्य सोशल मीडिया खर्च को लेकर सामने आया। कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्रचार पर 5.95 करोड़ रुपये खर्च किए, जो सभी दलों में सबसे अधिक था। इसके मुकाबले भाजपा ने केवल 5.26 लाख रुपये सोशल मीडिया पर खर्च किए और आम आदमी पार्टी ने करीब 3 करोड़ रुपये खर्च किए। भारी डिजिटल प्रचार के बावजूद कांग्रेस मतदाताओं को प्रभावित करने में पूरी तरह विफल रही।

कुल 70 विधानसभा सीटों में भाजपा ने 48 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया, जबकि आम आदमी पार्टी को 22 सीटें मिलीं। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। यह परिणाम कांग्रेस की प्रचार-केंद्रित रणनीति की असफलता को उजागर करता है।

एडीआर रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव के दौरान सभी पार्टियों ने मिलकर 170.68 करोड़ रुपये का फंड जुटाया। इसमें भाजपा को सबसे ज्यादा 88.7 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 64.3 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ। इसके बावजूद कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन शून्य रहा।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2020 और 2025 दोनों चुनाव लड़ने वाली छह पार्टियों में कांग्रेस के खर्च में 222 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई, जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले 25 प्रतिशत कम खर्च किया। इसके बावजूद भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे कांग्रेस की खर्च आधारित राजनीति पर सवाल और गहरे हो गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस का अत्यधिक प्रचार खर्च जमीनी संगठन और उम्मीदवारों पर निवेश की कमी को छुपा नहीं सका। एडीआर की यह रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि केवल पैसा बहाने से चुनाव नहीं जीते जाते, बल्कि स्पष्ट नेतृत्व, संगठन और भरोसे की राजनीति जरूरी होती है।

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