भारत की न्यूक्लियर नीति में ऐतिहासिक बदलाव, लोकसभा में SHANTI बिल पेश

निजी क्षेत्र की एंट्री, आसान लायबिलिटी नियम और मजबूत रेगुलेशन के साथ न्यूक्लियर एनर्जी में बड़े सुधार का प्रस्ताव

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  • SHANTI बिल 2025 से न्यूक्लियर ऊर्जा में दशकों पुराना सरकारी एकाधिकार समाप्त होने का रास्ता खुलेगा।
  • निजी भारतीय कंपनियां न्यूक्लियर प्लांट बनाने, चलाने और बंद करने के लिए लाइसेंस ले सकेंगी।
  • न्यूक्लियर हादसों की जिम्मेदारी केवल ऑपरेटर पर होगी, उपकरण सप्लायर्स को राहत मिलेगी।
  • एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड को कानूनी दर्जा देकर सुरक्षा और निगरानी मजबूत की जाएगी।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 16 दिसंबर: SHANTI बिल 2025 को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया, जिसे भारत की सिविल न्यूक्लियर नीति में अब तक का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि यह बिल देश की ऊर्जा जरूरतों, जलवायु लक्ष्यों और तकनीकी विकास को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसके जरिए न्यूक्लियर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में बिल पेश करते हुए बताया कि यह प्रस्ताव न्यूक्लियर डैमेज के लिए व्यावहारिक सिविल लायबिलिटी व्यवस्था उपलब्ध कराएगा। साथ ही, एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड को वैधानिक दर्जा देकर सुरक्षा मानकों को और मजबूत किया जाएगा। सरकार के अनुसार, यह बिल न्यूक्लियर ऊर्जा के शांतिपूर्ण और सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देगा।

SHANTI बिल 2025 के लागू होने पर 1962 का एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 2010 का सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट समाप्त हो जाएंगे। लंबे समय से इन कानूनों को निवेश के रास्ते में बाधा माना जाता रहा है, खासकर निजी और विदेशी साझेदारों के लिए। नए बिल के तहत भारतीय निजी कंपनियों को न्यूक्लियर पावर प्लांट और रिएक्टर बनाने, उनके मालिक बनने, संचालन करने और बंद करने के लिए लाइसेंस लेने की अनुमति होगी।

बिल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी न्यूक्लियर हादसे की स्थिति में जिम्मेदारी केवल प्लांट ऑपरेटर की होगी। उपकरण या तकनीक सप्लाई करने वाली कंपनियों को इससे बाहर रखा गया है। हर हादसे के लिए अधिकतम लायबिलिटी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आईएमएफ के स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स के 300 मिलियन के बराबर तय की गई है। ऑपरेटरों को रिएक्टर की क्षमता के अनुसार 11 मिलियन से 330 मिलियन डॉलर तक का बीमा या लायबिलिटी फंड रखना होगा।

सरकार का मानना है कि यह बिल भारत के दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों से सीधे जुड़ा है। देश ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन और 2047 तक न्यूक्लियर पावर क्षमता को 100 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में यह क्षमता लगभग 8.2 गीगावॉट है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी को अहम माना जा रहा है।

नियम-कानून के स्तर पर SHANTI बिल 2025 में सख्त प्रावधान भी किए गए हैं। उल्लंघन की स्थिति में जुर्माने और दंड का प्रावधान है। सभी ऑपरेटरों को सरकार से लाइसेंस और रेगुलेटरी बोर्ड से सुरक्षा मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। विदेशी नियंत्रण वाली कंपनियों को सीधे लाइसेंस नहीं दिया जाएगा, जबकि संवेदनशील गतिविधियां सरकार के पास ही रहेंगी। सरकार का दावा है कि यह बिल निवेश, सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाएगा।

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