🐏मेष
किसी लंबे मनोरंजक प्रवास का कार्यक्रम बन सकता है। आंखों का विशेष ध्यान रखें। चोट व रोग से बचें। सुख के साधन जुटेंगे। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सरकारी कामकाज में अनुकूलता रहेगी। स्थिति नियंत्रण में रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम न उठाएं।
🐂वृष
कोई पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक हानि की आशंका बनती है। किसी व्यक्ति के व्यवहार से दिल को ठेस पहुंच सकती है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। आय में निश्चितता रहेगी, धैर्य रखें।
👫मिथुन
गृहस्थ जीवन में आनंद का वातावरण रहेगा। जीवनसाथी को भेंट व उपहार देना पड़ सकता है। किसी अनहोनी की आशंका रह सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। लापरवाही न करें। कोर्ट व कचहरी तथा सरकारी कामों में अनुकूलता रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रमाद न करें।
🦀कर्क
आर्थिक वृद्धि के लिए नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। किसी सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। मान-सम्मान मिलेगा। कार्यकारी नए अनुबंध हो सकते हैं। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। शारीरिक शिथिलता रहेगी।
🐅सिंह
पहले किसी व्यक्ति को दिए गए कर्ज की वसूली हो सकती है। व्यावसायिक प्रवास सफल रहेगा। धन प्राप्ति सु्गम होगी। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी। कोई नई समस्या आ सकती है। शारीरिक कष्ट भी आशंका है, लापरवाही न करें। नौकरी में चैन रहेगा। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🙍♀️कन्या
जीवनसाथी के स्वास्थ्य संबंधी चिंता बनी रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। व्यावसायिक प्रवास हो सकता है। काम में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति हो सकती है। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। लाभ होगा।
⚖️तुला
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। कार्य के प्रति उत्साह रहेगा। जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना सफल रहेगी। बड़ा लाभ हो सकता है। प्रमाद न करें। कुबुद्धि हावी रह सकती है इसलिए कोई भी निर्णय सोम-समझकर करें।
🦂वृश्चिक
कोई बड़ा खर्च अचानक सामने आ सकता है। व्यवस्था में मुश्किल होगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। गुस्से पर काबू रखें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। धनहानि की आशंका बन सकती है। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।
🏹धनु
पहले किए गए प्रयास का लाभ अब मिलेगा। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। निवेश शुभ फल देगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। खोई हुई वस्तु मिल सकती है। प्रमाद न करें।
🐊मकर
कामकाज में अधिक ध्यान देगा पड़ेगा। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। समय पर काम नहीं होने से तनाव रहेगा। गुस्से पर काबू रखें। व्यापार-व्यवसाय में उतार-चढ़ाव रहेगा। नौकरी में अधिकारी अधिक की अपेक्षा करेंगे। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं।
🍯कुंभ
आय में सुगमता रहेगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। प्रसन्नता बढ़ेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आनंद और उल्लास के साथ जीवन व्यतीत होगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। चोट व रोग से हानि संभव है।
🐟मीन
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। बेवजह विवाद हो सकता है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। उत्साह व प्रसन्नता से काम कर पाएंगे।
पंचांग
दिनाँक:-16/12/2025,मंगलवार
द्वादशी, कृष्ण पक्ष,
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– द्वादशी 23:56:50. तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र———— स्वाति 14:08:45
योग——–‐— अतिगंड 13:22:05
करण———– कौलव 10:37:55
करण———— तैतुल 23:56:50
वार———————– मंगलवार
माह————————— पौष
चन्द्र राशि———‐——— तुला
सूर्य राशि——————– धनु
रितु————————— हेमंत
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर——————- विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2082
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————— 5126
वृन्दावन
सूर्योदय—————- 07:04:02
सूर्यास्त—————– 17:25:49
दिन काल————– 10:21:47
रात्री काल————– 13:38:47
चंद्रास्त—————– 14:35:45
चंद्रोदय—————– 28:36:30
लग्न—- धनु 0°7′ , 240°7′
सूर्य नक्षत्र——————— मूल
चन्द्र नक्षत्र——————–स्वाति
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
रो—- स्वाति 07:23:06
ता—- स्वाति 14:08:45
ती—- विशाखा 20:54:27
तू—- विशाखा 27:40:03
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
============================
सूर्य= धनु 00°49 , मूल 1 ये
चन्द्र= तुला 16°30 , स्वाति 3 रो
बुध = वृश्चिक 11°52 ‘ अनुराधा 3 नू
शु क्र= वृश्चिक 24°05, ज्येष्ठा , 3 यी
मंगल= धनु 06°30 ‘ मूल. 2 यो
गुरु= कर्क 29°50 पुनर्वसु, 3 हा
शनि=मीन 01°13 ‘ पूo भा o , 4 दी
राहू=(व) कुम्भ 18°53 शतभिषा, 4 सू
केतु= (व) सिंह 18°53 पूoफा o 2 टा
============================
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 14:50 – 16:08 अशुभ
यम घंटा 09:39 10:57 अशुभ
गुली काल 12:15 – 13:33 अशुभ
अभिजित 11:54 – 12:36 शुभ
दूर मुहूर्त 09:08 – 09:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:53 – 23:35 अशुभ
वर्ज्यम 20:27 – 22:16 अशुभ
प्रदोष 17:26 – 20:12 शुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग 07:04 – 08:22 अशुभ
उद्वेग 08:22 – 09:39 अशुभ
चर 09:39 10:57 शुभ
लाभ 10:57 – 12:15 शुभ
अमृत 12:15 – 13:33 शुभ
काल 13:33 14:50 अशुभ
शुभ 14:50-16:08 शुभ
रोग 16:08 – 17:26 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
काल 17:26 19:08 अशुभ
लाभ 19:08 20:51 शुभ
उद्वेग 20:51 – 22:33 अशुभ
शुभ 22:33 – 24:15* शुभ
अमृत 24:15* – 25:58* शुभ
चर 25:58*- 27:40* शुभ
रोग 27:40* – 29:22* अशुभ
काल 29:22*31:05* अशुभ
💮होरा, दिन
मंगल 07:04 -07:56
सूर्य 07:56- 08:48
शुक्र 08:48- 09:39
बुध 09:39 -10:31
चन्द्र 10:31-11:23
शनि 11:23- 12:15
बृहस्पति 12:15- 13:07
मंगल 13:07- 13:59
सूर्य 13:59- 14:50
शुक्र 14:50 -15:42
बुध 15:42-16:34
चन्द्र 16:34 -17:26
🚩होरा, रात
शनि 17:26- 18:34
बृहस्पति 18:34- 19:42
मंगल 19:42- 20:51
सूर्य 20:51- 21:59
शुक्र 21:59- 23:07
बुध 23:07 -24:15
चन्द्र 24:15-25:23
शनि 25:23-26:32
बृहस्पति 26:32-27:40
मंगल 27:40-28:48
सूर्य 28:48-29:56
शुक्र 29:56-31:05
🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
वृश्चिक > 04:44 से 07:10 तक
धनु > 07:10 से 09:06 तक
मकर > 09:06 से 10:46 तक
कुम्भ > 10:46 से 12:24 तक
मीन > 12:24 से 13:50 तक
मेष > 13:50 से 15:26 तक
वृषभ > 15:26 से 17:20 तक
मिथुन > 17:20 से 19:50 तक
कर्क > 19:50 से 21:56 तक
सिंह > 21:56 से 00:06 तक
कन्या > 00:06 से 02:36 तक
तुला > 02:36 से 04:38 तक
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🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————- उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 12 + 3 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*गोपाल भट्टाचार्य पाटोत्सव
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
देयं भोज्यधनं सुकृतिभिर्नो संचयस्तस्य व
श्रीकर्णस्य बलेश्च विक्रमपतेरद्यापि कीर्तिः स्थिता ।
अस्माकं मधुदानभोगरहितं नष्टं चिरात्सचितं
निर्वाणादिति नष्टपादयुगल घर्षन्यहो मक्षिकाः ।।
।।चाo नीo।।
एक गुणवान व्यक्ति को वह सब कुछ दान में देना चाहिए जो उसकी आवश्यकता से अधिक है. केवल दान के कारण ही कर्ण, बाली और राजा विक्रमादित्य आज तक चल रहे है. देखिये उन मधु मख्खियों को जो अपने पैर दुखे से धारती पर पटक रही है. वो अपने आप से कहती है ” आखिर में सब चला ही गया. हमने हमारे शहद को जो बचा कर रखा था, ना ही दान दिया और ना ही खुद खाया. अभी एक पल में ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया.”
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: कर्मयोग अo-3
न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङि्गनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्तः समाचरन्॥
परमात्मा के स्वरूप में अटल स्थित हुए ज्ञानी पुरुष को चाहिए कि वह शास्त्रविहित कर्मों में आसक्ति वाले अज्ञानियों की बुद्धि में भ्रम अर्थात कर्मों में अश्रद्धा उत्पन्न न करे, किन्तु स्वयं शास्त्रविहित समस्त कर्म भलीभाँति करता हुआ उनसे भी वैसे ही करवाए
॥26॥
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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आचार्य ज्योतिष सचिन पांडे