मनरेगा को नई पहचान, साल में 125 दिन काम की गारंटी
कैबिनेट के फैसले से ग्रामीण रोज़गार व्यवस्था में बड़ा बदलाव
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मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार गारंटी
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सालाना रोज़गार सीमा 100 से बढ़ाकर 125 दिन
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संसद में लंबे समय से उठ रही थी रोज़गार बढ़ाने की मांग
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संशोधन विधेयक लाने की तैयारी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 दिसंबर: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम में अहम बदलाव को मंज़ूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार गारंटी करने का निर्णय लिया गया।
रोज़गार की गारंटी 125 दिन करने का फैसला
कैबिनेट ने योजना के तहत एक वित्तीय वर्ष में रोज़गार की गारंटी 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन करने का फैसला किया है। इससे ग्रामीण मज़दूरों को पहले की तुलना में अधिक समय तक काम मिलेगा।
संसद में लगातार उठती रही है मांग
मनरेगा के तहत रोज़गार बढ़ाने और मज़दूरी में सुधार की मांग संसद में कई बार उठाई जा चुकी है। विभिन्न दलों के सांसदों ने ग्रामीण इलाकों में मज़दूरी संकट का मुद्दा सदन में रखा है।
सोनिया गांधी ने 150 दिन रोज़गार की रखी थी मांग
कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने इसी वर्ष राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान मनरेगा के तहत रोज़गार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 दिन करने की मांग की थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि ग्रामीण मज़दूरों को समय पर मज़दूरी नहीं मिल रही है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है। सोनिया गांधी ने मज़दूरी भुगतान में देरी खत्म करने और आधार आधारित भुगतान की अनिवार्यता समाप्त करने की भी मांग रखी थी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की कोशिश
सरकार का मानना है कि रोज़गार के दिनों में बढ़ोतरी से ग्रामीण इलाकों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। इससे गांवों से शहरों की ओर होने वाला पलायन भी कम होगा।
बजट आवंटन में लगातार बढ़ोतरी
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, बीते वर्षों में मनरेगा के लिए बजट आवंटन लगातार बढ़ा है। सरकार का दावा है कि बढ़ा हुआ बजट और अतिरिक्त रोज़गार दिवस योजना को अधिक प्रभावी बनाएंगे।
संशोधन विधेयक लाने की तैयारी
इन बदलावों को लागू करने के लिए सरकार मौजूदा क़ानून में संशोधन करेगी। संबंधित विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।