मनरेगा नाम परिवर्तन पर प्रियंका गांधी ने फैसले को बताया समझ से परे
प्रियंका गांधी बोलीं— नाम बदलने से संसाधनों की बर्बादी, जयराम रमेश ने सरकार को बताया ‘नामकरण में धुरंधर’
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केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ किया
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योजना में रोजगार की गारंटी 100 से बढ़ाकर 125 दिन की गई
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प्रियंका गांधी ने फैसले को बताया समझ से परे
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जयराम रमेश ने नाम बदलने की नीति पर सरकार पर कसा तंज
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 13 दिसंबर: केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ किए जाने के बाद सियासी विवाद तेज हो गया है। कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले को गैरज़रूरी बताते हुए सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।
प्रियंका गांधी का सवाल: मानसिकता समझ से बाहर
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि वह यह समझ नहीं पा रहीं कि योजना का नाम बदलने के पीछे सरकार की मानसिकता क्या है। उन्होंने कहा कि जब भी किसी बड़ी योजना का नाम बदला जाता है, तो सरकारी कार्यालयों, दस्तावेज़ों और व्यवस्थाओं में बदलाव करना पड़ता है, जिससे धन और संसाधनों की भारी बर्बादी होती है।
प्रियंका गांधी के अनुसार, महात्मा गांधी का नाम देश की इस महत्वपूर्ण योजना से जुड़ा है और उसे हटाने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
जयराम रमेश का तंज: नाम बदलने में माहिर सरकार
कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर सरकार पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार पुरानी योजनाओं और कानूनों के नाम बदलने में माहिर है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले की कई योजनाओं के नाम बदले गए और अब महात्मा गांधी के नाम वाली योजना को भी बदला जा रहा है। जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि दो दशक से चल रहे नाम को बदलने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी और महात्मा गांधी के नाम से सरकार को क्या परेशानी है।
क्या है मनरेगा योजना
मनरेगा वर्ष 2005 में लागू की गई देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है। इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को आजीविका की सुरक्षा देना है। इसके तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को हर साल न्यूनतम 100 दिनों के अकुशल रोजगार की गारंटी दी जाती रही है, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन किया गया है।