कर्नाटक : यक्षगान कलाकारों पर भाजपा का बिलीमले पर बड़ा हमला

कर्नाटक में बढ़ा राजनीतिक घमासान: बिलीमले की टिप्पणी को लेकर

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पूनम शर्मा
कर्नाटक विधानसभा में कन्नड़ विकास प्राधिकरण (KDA) के अध्यक्ष पुरूषोत्तम बिलीमले की विवादित टिप्पणी को लेकर गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने बिलीमले के तत्काल इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी बयानबाज़ी ने न केवल यक्षगान कलाकारों की गरिमा को चोट पहुंचाई है, बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक धरोहर का भी गंभीर अपमान किया है।

क्या है विवाद? हाल ही में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बिलीमले ने यह विवादित टिप्पणी की थी कि— “अधिकांश यक्षगान कलाकार समलैंगिक (homosexual) होते हैं।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि पारंपरिक रूप से यक्षगान कलाकार महीनों तक घर-परिवार से दूर रहते थे, और पुरुषों को कई बार महिलाओं की भूमिकाएं भी निभानी पड़ती थीं। बिलीमले के अनुसार इस पेशेवर व्यवस्था के चलते “ऐसे संबंध” विकसित होते थे।

यह टिप्पणी सामने आते ही कोस्टल कर्नाटक से लेकर राज्य की राजनीति तक भारी नाराज़गी फैल गई। यक्षगान केवल एक कला नहीं बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में कलाकारों को “समलैंगिक” बताने वाली टिप्पणी को सीधे-सीधे अपमान के रूप में देखा गया।

भाजपा का कड़ा विरोध: इस्तीफे की माँग

विधानसभा के भीतर भाजपा ने इस बयान को “हिंदू सांस्कृतिक परंपरा पर सीधा हमला” बताया। राज्य भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा:“यक्षगान कलाकारों का अपमान, पूरे कन्नड़ समाज का अपमान है। बिलीमले को तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए।”

विपक्ष के विधायकों ने सरकार से पूछा कि एक संवैधानिक संस्था के अध्यक्ष होने के बाद भी कोई व्यक्ति कैसे इतनी गैर-जिम्मेदारी दिखा सकता है। भाजपा विधायकों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती तो वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।

यक्षगान कलाकारों का आक्रोश: कानूनी कार्रवाई पर विचार यक्षगान कलाकारों और उनके संगठनों ने बिलीमले के बयान को “अत्यंत अपमानजनक, बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” करार दिया है। कई वरिष्ठ कलाकारों ने कहा कि—

“हमने जीवन भर इस कला को साधना, अनुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जिया है। बिना किसी शोध या तथ्य के हमें इस तरह कलंकित करना अस्वीकार्य है।’’

रिपोर्टों के अनुसार कई कलाकार बिलीमले के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने पर भी विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बयान से कलाकारों और उनके परिवारों की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा है।

उन्होंने माँग की कि बिलीमले न केवल सार्वजनिक रूप से माफी माँगे बल्कि अपनी टिप्पणी वापस लें। कलाकारों के अनुसार, इस तरह की टिप्पणी से पूरी यक्षगान परंपरा को “गलत और अनैतिक” रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।

विधानसभा स्पीकर व सरकार की प्रतिक्रिया

विधानसभा अध्यक्ष यू.टी. खादर ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए कन्नड़ और संस्कृति विभाग को बिलीमले से लिखित स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है।

कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री शिवराज तांगडगी ने कहा कि— “सरकार इस मामले को हल्के में नहीं लेगी। जो भी आवश्यक होगा, हम कार्रवाई करेंगे।”

हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि बिलीमले ने अपनी टिप्पणी को “गलत ढंग से समझा गया” बताते हुए स्पष्टीकरण दिया है। लेकिन भाजपा और कलाकारों का कहना है कि केवल “स्पष्टीकरण” पर्याप्त नहीं है।

बिलीमले का बचाव

बिलीमले ने दावा किया कि उनका उद्देश्य कलाकारों को नीचा दिखाना नहीं था। उनका कहना है कि उन्होंने यक्षगान कलाकारों के “संघर्षपूर्ण जीवन” और ऐतिहासिक परिस्थितियों का हवाला दिया था।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि—

उन्होंने बिना किसी शोध या रिपोर्ट के ,बिना भाषा की संवेदनशीलता को समझे ,और एक पूरी परंपरा को कलंकित करने वाली भाषा का इस्तेमाल किया। यही कारण है कि मामला इतना गंभीर रूप ले चुका है।

यक्षगान परंपरा का महत्व

यक्षगान कर्नाटक की तटीय संस्कृति का अत्यंत सम्मानित हिस्सा है। यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि धार्मिक कथाओं, लोकदृष्टि, अनुशासन और सांस्कृतिक आस्था का मंच है। ऐसे में कलाकारों की मंशा, चरित्र या जीवन को लेकर बिना आधार वाली टिप्पणी न केवल कलाकारों का बल्कि पूरी परंपरा का अपमान माना जा रहा है।

निष्कर्ष: विवाद का अंत कहाँ?

कुल मिलाकर यह विवाद कर्नाटक की राजनीति, संस्कृति और समाज के बीच एक बड़ी बहस बन गया है। भाजपा बिलीमले के इस्तीफे पर अड़ी हुई है, कलाकार न्याय चाहते हैं, और सरकार दबाव में है कि वह उचित कार्रवाई करे। यह विवाद इस बात का भी संकेत है कि— सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को शब्दों का चयन अत्यंत जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, खासकर जब बात सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता की हो।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.