ट्रंप की नई टैरिफ धमकी, 3 हज़ार करोड़ से ज़्यादा के चावल बाज़ार पर खतरे के बादल

सितंबर 2025 से लागू 50% प्रतिशोधी शुल्क ने निर्यात पहले ही 50% घटाया; अब नए आयात शुल्क का संकेत देकर ट्रंप ने भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ाई

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समग्र समाचार सेवा
वाशिंगटन/नई दिल्ली। 09 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कृषि आयातों पर नए शुल्क लगाने की चेतावनी के बाद भारत के चावल निर्यातकों पर संकट और गहरा गया है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी किसानों के लिए राहत पैकेज का एलान करते हुए भारत सहित कई एशियाई देशों से हो रहे कृषि आयात की आलोचना की और संकेत दिया कि वह नए शुल्क लगा सकते हैं विशेषकर चावल पर।

सितंबर 2025 से अमेरिका ने भारत से आयातित चावल पर 50% प्रतिशोधी शुल्क लगाया हुआ है, जिसकी वजह से भारतीय चावल का निर्यात औसतन करीब 50% तक गिर चुका है। अब ताज़ा बयान से भारतीय निर्यातकों को आशंका है कि व्यापार और धीमा पड़ सकता है।

वियतनाम और थाईलैंड का भी जिक्र—यानि गैर-बासमती निशाने पर”

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय भलोटिया ने एनडीटीवी से कहा कि ट्रंप ने भारत के साथ वियतनाम और थाईलैंड का भी उल्लेख किया है, जिससे स्पष्ट है कि चर्चा गैर-बासमती चावल की है।
हालाँकि, अभी यह स्पष्ट नहीं कि अतिरिक्त शुल्क केवल गैर-बासमती पर लगेगा या बासमती चावल भी इसमें शामिल होगा।

भलोटिया के अनुसार—

  • भारत से अमेरिका को साल 2024-25 में 2.5 लाख मैट्रिक टन बासमती चावल भेजा गया।
  • 0.6 लाख मैट्रिक टन गैर-बासमती चावल निर्यात हुआ।
  • इनका कुल मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 350 मिलियन डॉलर, यानी लगभग 3150 करोड़ रुपये है।

3150 करोड़ रुपये के व्यापार पर असर की आशंका

निर्यातक समुदाय का कहना है कि अगस्त में लगे प्रतिशोधी शुल्क के बाद से ही बासमती चावल का व्यापार धीमा पड़ा है, जबकि इससे पहले यह व्यापार हर वर्ष 20% की रफ्तार से बढ़ रहा था।

ट्रंप के ताज़ा बयान के बाद अनुमान है कि अमेरिका को होने वाला करीब 3150 करोड़ रुपये का वार्षिक चावल निर्यात और प्रभावित हो सकता है।

भारत के निर्यात पर पड़ेगा बुरा असर

अगर आने वाले दिनों में ट्रंप कृषि आयातों पर नया शुल्क लागू करते हैं, तो भारत से अमेरिका को होने वाला चावल निर्यात और कम हो जाएगा।

निर्यातकों का मानना है कि इस फैसले से भारत को बड़े और स्थिर बाज़ार में प्रतिस्पर्धा का दबाव बढ़ेगा और आय कम होने की आशंका भी है।

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