वोटर लिस्ट विवाद: सोनिया गांधी को कोर्ट नोटिस, प्रियंका बोलीं-यह पूरी तरह झूठ

प्रियंका गांधी ने कहा कि उनकी मां ने नागरिकता मिलने के बाद ही वोट डाला; दिल्ली सेशंस कोर्ट ने 1980-81 की वोटर लिस्ट मामले में नोटिस जारी किया

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  • प्रियंका गांधी ने आरोपों को “पूरी तरह झूठ” बताते हुए कहा सोनिया गांधी ने नागरिकता मिलने के बाद ही मतदान किया।
  • राउज एवेन्यू सेशंस कोर्ट ने सोनिया गांधी को नोटिस जारी कर ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड तलब किया।
  • याचिकाकर्ता ने दावा किया—1980-81 की वोटर लिस्ट में उनका नाम नागरिकता मिलने से पहले दर्ज हुआ था।
  • मजिस्ट्रेट ने पहले शिकायत को खारिज किया था; अब 6 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली|9 दिसंबर: दिल्ली में जारी राजनीतिक और कानूनी बहस के बीच कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी के खिलाफ लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी का नाम नागरिकता मिलने से पहले वोटर लिस्ट में दर्ज होने का दावा “पूरी तरह झूठ” है। पत्रकारों से बातचीत में प्रियंका गांधी ने कहा कि सोनिया गांधी ने “केवल नागरिकता मिलने के बाद ही मतदान किया” और उनसे इस उम्र में बेवजह सवाल नहीं किए जाने चाहिए।

इसी बीच, दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित सेशंस कोर्ट ने 1980-81 की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने के विवाद पर सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया। यह कार्रवाई उस पुनर्विचार याचिका पर हुई, जो मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत को खारिज किए जाने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हुई थीं, क्योंकि कथित तौर पर सोनिया गांधी का नाम 1980 में दर्ज हुआ और 1983 में दोबारा शामिल किया गया, जबकि नागरिकता बाद में मिली। उन्होंने दावा किया कि अब निर्वाचन आयोग से प्रमाणित प्रतियां हासिल कर ली गई हैं, जो इस मामले की न्यायिक जांच को आवश्यक बनाती हैं।

नारंग ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार केवल भारतीय नागरिक का ही नाम मतदाता सूची में शामिल हो सकता है। इसलिए यह मामला कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

अदालत ने नोटिस जारी करते हुए ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (TCR) तलब किया है ताकि मामले की पूरी समीक्षा की जा सके। अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।

विवाद की पृष्ठभूमि उस शिकायत से जुड़ी है जिसे मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह केवल अप्रमाणित दस्तावेज़ों पर आधारित है और नागरिकता व मतदाता सूची से जुड़े प्रश्न केंद्र सरकार व निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

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