गीता पाठ विवाद: सुवेंदु का आरोप ममता बनर्जी हिंदू-विरोधी

कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में हुए विशाल गीता पाठ में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति पर भाजपा ने कहा—यह तुष्टिकरण की राजनीति।

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  • सुवेंदु अध‍िकारी ने मुख्यमंत्री पर हिंदू-विरोधी होने का आरोप लगाया।
  • ममता बनर्जी ने कहा—कार्यक्रम निष्पक्ष नहीं था, इसलिए नहीं गई।
  • पाँच लाख से अधिक लोगों ने भव्य गीता पाठ में भाग लिया।
  • भाजपा नेताओं ने इसे हिंदू जन-जागरण का प्रतीक बताया।

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 9 दिसंबर। पश्चिम बंगाल में कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में हुए विशाल गीता पाठ को लेकर राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। विपक्ष के नेता सुवेंदु अध‍िकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर धार्मिक आयोजन से दूरी बनाकर हिंदू-विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया। अध‍िकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति तुष्टिकरण की राजनीति का संकेत है।

रविवार को आयोजित इस मास गीता पाठ में पाँच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए संत भी मंच पर उपस्थित थे।

मीडिया से बातचीत में सुवेंदु अध‍िकारी ने कहा,
“ममता बनर्जी हिंदू-विरोधी हैं। मंच पर किसी राजनीतिक दल का प्रतीक नहीं था। हम धार्मिक श्रद्धा से गए थे, किसी दल के प्रतिनिधि के रूप में नहीं। वह राम मंदिर का विरोध करती हैं, महाकुंभ को अपमानजनक नाम देती हैं। वह स्वयं को हिंदू नहीं मानतीं।”

इधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कार्यक्रम को राजनीतिक बताते हुए इसमें भाजपा की प्रत्यक्ष भूमिका का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यदि आयोजन निष्पक्ष होता, तो वे अवश्य उपस्थित होतीं।

मुख्यमंत्री ने कहा,
“मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूँ। लेकिन किसी दल द्वारा संचालित कार्यक्रम में मैं कैसे जाऊँ? हमारी विचारधारा अलग है। बंगाल की संस्कृति ने हमें किसी प्रकार की नफ़रत स्वीकार नहीं करना सिखाया है।”

इस आयोजन का संचालन सनातन संस्कृति संसद ने किया था।
भाजपा नेता दिलीप घोष ने इसे हिंदुओं के जन-जागरण का प्रतीक बताया और कहा कि गीता समाज को जोड़ने वाला ग्रंथ है।

पद्मश्री सम्मानित कार्तिक महाराज ने भी कहा कि भगवद्गीता “हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, जो समाज को एक सूत्र में पिरोता है।”

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