वोट चोरी’ पर वार की तैयारी, लोकसभा में आज गरमाएगा चुनाव सुधारों का मुद्दा

राहुल गांधी करेंगे सीधा हमला, सरकार चुनाव आयोग पर उठे आरोपों का जवाब देने को तैयार

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  • विपक्ष आज लोकसभा में चुनाव सुधारों पर व्यापक बहस में आक्रामक रुख अपनाएगा।
  • राहुल गांधी ‘वोट चोरी’, मतदाता सूची गड़बड़ी और एसआईआर प्रक्रिया पर सरकार को घेरेंगे।
  • सरकार चुनाव सुधार, डिजिटाइजेशन और एक देश–एक चुनाव जैसे पहलुओं पर अपना पक्ष रखेगी।
  • वंदे मातरम विवाद के बाद आज फिर सदन में तीखी बहस की संभावना।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 09 दिसंबर: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधारों पर अहम और संभावित रूप से तीखी बहस होने जा रही है। इस चर्चा में विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों के रणनीतिक तेवर दिखने की संभावना है।

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी इस बहस में हिस्सा लेंगे और माना जा रहा है कि वे वोट चोरी, मतदाता सूची में गड़बड़ी, और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसी प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े करेंगे। कांग्रेस का कहना रहा है कि इन खामियों के कारण गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों के मत अधिकारों को प्रभावित किया गया है।

राहुल गांधी इससे पहले हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी चुनावी गड़बड़ियों के आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने कई बार चुनावी प्रक्रियाओं में धांधली का खुलासा करने का दावा करते हुए ‘हाइड्रोजन बम’ और ‘एटम बम’ जैसे तीखे शब्दों का प्रयोग किया था। इसके अलावा, उन्होंने बिहार में वोटर अधिकार रैली आयोजित कर मतदाता सूची में कथित कटौतियों का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाया।

चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी करेंगे। कांग्रेस के कई अन्य सांसद के.सी. वेणुगोपाल, उज्ज्वल रमन सिंह, वर्षा गायकवाड़, मोहम्मद जावेद, ईसा खान, रवि मल्लू, इमरान मसूद और गोवाल पदवी भी अपनी बात रखेंगे। अंत में राहुल गांधी विस्तृत तरीके से अपनी दलीलें देंगे।

दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, और विपक्ष द्वारा एसआईआर की प्रक्रिया पर सीधे सवाल उठाना उचित नहीं है। सरकार बहस को चुनाव सुधारों के व्यापक दायरे में लाकर अपने सकारात्मक कदमों जैसे मतदाता सूची का डिजिटाइजेशन, चुनाव प्रक्रिया का तकनीकी आधुनिकीकरण, तथा एक देश–एक चुनाव जैसी अवधारणाओं को सदन में प्रमुखता से रखने की कोशिश करेगी।

सत्तारूढ़ दल की ओर से निशिकांत दुबे, अभिजीत गांगोपाध्याय, पी.पी. चौधरी और संजय जायसवाल जैसे सांसद बहस में शामिल होंगे। दो दिन चलने वाली इस चर्चा के समापन पर कोई वरिष्ठ मंत्री जवाब दे सकता है।

विपक्ष चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठाने की तैयारी में है जैसे कई राज्यों में बीएलओ कर्मियों की कथित मौतें, एसआईआर की प्रक्रिया में कथित जल्दबाज़ी, तथा मतदाता सूची संशोधन के दौरान जमीनी अनियमितताएँ।

वंदे मातरम बहस की पृष्ठभूमि

इस बहस से पहले सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम को लेकर तीखी राजनीतिक बहस देखी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अतीत में मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम के दो हिस्से कर दिए थे और यह मानसिकता देश के विभाजन तक दिखाई दी।

कांग्रेस ने इन आरोपों का जवाब प्रियंका गांधी और गौरव गोगोई के माध्यम से दिया। गोगोई ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस के योगदान पर कोई दाग नहीं लगाया जा सकता और यह कि कांग्रेस ने अपने हर अधिवेशन में वंदे मातरम गाने का निर्णय लिया था।

प्रियंका गांधी ने सदन में यह मांग भी रखी कि जवाहरलाल नेहरू पर गहन चर्चा हो ताकि बेरोज़गारी और महँगाई जैसे वास्तविक मुद्दों पर बहस हो सके। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम और राष्ट्रगान दोनों ही कविताओं के अंश हैं और दोनों का चयन रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह से हुआ था। प्रियंका गांधी के अनुसार, इन विषयों पर सवाल उठाना संविधान सभा और राष्ट्रीय महानायकों के प्रति असम्मान है।

राहुल और प्रियंका की गैरमौजूदगी पर बीजेपी का हमला

वंदे मातरम चर्चा के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति पर भी भाजपा ने सवाल उठाए। भाजपा सांसदों ने कहा कि यह उनकी मानसिकता और असहजता का संकेत है।

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