मुर्शिदाबाद :राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद

समारोहों ने भड़काई राजनीतिक जंग

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समग्र समाचार सेवा
मुर्शिदाबाद 6 दिसंबर – मुर्शिदाबाद में शनिवार का दिन पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नए और तीखे धार्मिक-राजनीतिक संघर्ष का प्रतीक बन गया। एक ओर बीजेपी नेता सखारोव सरकार ने अयोध्या के रामलला मंदिर की प्रतिकृति के लिए भूमि पूजन और शिला प्रतिष्ठा की, तो दूसरी ओर निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर ने बाबरी मस्जिद निर्माण की नींव रखकर राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया। दोनों घटनाएँ एक ही दिन हुईं, जिससे जिले में सांप्रदायिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई।

बीजेपी की ओर से राम मंदिर प्रतिकृति का भूमि पूजन

बेहरामपुर में आयोजित कार्यक्रम में बीजेपी नेता सखारोव सरकार ने कहा कि पार्टी “सनातन मूल्यों और लोककल्याण” के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने घोषणा की कि प्रस्तावित मंदिर परिसर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं होगा, बल्कि इसमें एक अस्पताल और एक स्कूल भी शामिल होगा। उनके अनुसार, “यह क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक और परोपकारी पहल होगी।”
बीजेपी इसे बहुसंख्यक सांस्कृतिक पहचान और विकास के मेल के रूप में पेश कर रही है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

हुमायूँ कबीर ने रखी बाबरी मस्जिद की नींव

इसके कुछ ही घंटों बाद हुमायूँ कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण की आधारशिला रखी। कबीर ने अपने कदम का बचाव करते हुए संविधान के अनुच्छेद 26(ए) का हवाला दिया। उनके अनुसार, “जैसे कोई मंदिर या चर्च बना सकता है, वैसे ही मैं मस्जिद बना सकता हूँ। यह असंवैधानिक नहीं है।”

कबीर ने सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले का भी उल्लेख किया और कहा कि फैसला राम मंदिर निर्माण के पक्ष में था, लेकिन किसी अन्य स्थान पर मस्जिद बनाने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। टीएमसी द्वारा निलंबित किए जाने के बाद, कबीर के इस कदम को उनकी नई राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने 22 दिसंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने के संकेत भी दिए हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और बढ़ती ध्रुवीकरण की आशंका

बीजेपी ने कबीर के कदम को “चुनाव से पहले ध्रुवीकरण का प्रयास” बताया है। सखारोव सरकार ने कहा कि पार्टी “बहुसंख्यक सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देते हुए सबका विकास सुनिश्चित करेगी।”
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेताओं की समानांतर धार्मिक पहलें मुर्शिदाबाद को आने वाले चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक रणक्षेत्र बना सकती हैं।

निष्कर्ष

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़ी दो अलग-अलग धार्मिक नींव-शिला घटनाओं ने मुर्शिदाबाद को अचानक चुनावी और सांप्रदायिक बहस के केंद्र में ला दिया है। आगे आने वाले हफ्तों में यह विवाद बंगाल की चुनावी राजनीति को किस दिशा में मोड़ेगा, यह देखने लायक होगा।

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