असम के 30 जिलों को साल भर में बाल विवाह मुक्त बनाएगा जेआरसी

2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को गति देने हेतु एक लाख गाँवों में व्यापक अभियान

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  • जेआरसी ने एक साल में असम के 10,114 बाल विवाह रुकवाए, देशभर में संख्या एक लाख से अधिक
  • असम के 30 जिलों में बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक, धुबरी में यह दर 50% से ऊपर
  • सरकार ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के एक वर्ष पूरे होने पर 100 दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया
  • अगले एक साल में एक लाख गाँवों को बाल विवाह मुक्त बनाने का जेआरसी का लक्ष्य

समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी, असम | 7 दिसम्बर: वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को नई दिशा और शक्ति देते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने घोषणा की है कि वह बाल विवाह की उच्च दर वाले असम के 30 जिलों में विशेष अभियान चलाकर अगले एक वर्ष में एक लाख गाँवों को बाल विवाह मुक्त बनाएगा। ये वही जिले हैं जिन्हें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे–5 (2019-21) में राष्ट्रीय औसत से अधिक बाल विवाह दर वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया था।

जेआरसी देशभर के 250 से अधिक नागरिक समाज संगठनों का नेटवर्क है। असम में इसके सहयोगी साझेदार ज़मीनी स्तर पर सक्रिय हैं। पिछले एक वर्ष में नेटवर्क ने असम में 10,114 बाल विवाह रुकवाए, जबकि देशभर में यह संख्या एक लाख से अधिक रही।

असम में बाल विवाह की स्थिति चिंताजनक है। सर्वे के अनुसार राज्य में बाल विवाह की दर 31.8 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से काफी अधिक है। धुबरी जिले में स्थिति सबसे खराब है जहाँ बाल विवाह की दर 50 प्रतिशत से ऊपर दर्ज की गई। दक्षिण सालमारा–मनकाचार, दरांग, नौगांव, गोलपाड़ा, बोंगाईगांव और बरपेटा जिलों में यह दर 40 प्रतिशत से ऊपर है। राज्य के आठ जिलों में बाल विवाह की दर 30–39.9 प्रतिशत और दस जिलों में 23–29.9 प्रतिशत के बीच है।

अभियान के रोडमैप को साझा करते हुए जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब समुदाय, धार्मिक नेतृत्व, पंचायतें और नागरिक एकजुट होकर काम करेंगे। पिछले एक वर्ष में समाज की सहभागिता से एक लाख से अधिक बाल विवाह रोके गए, जो परिवर्तन की अनिवार्यता को दर्शाता है। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले एक वर्ष में एक लाख गाँवों को बाल विवाह मुक्त बनाकर बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा।

जेआरसी ने प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन और प्रासिक्यूशन के 3पी मॉडल के तहत 1 अप्रैल 2023 से 14 नवम्बर 2025 तक देशभर में 4,35,205 बाल विवाह रोकने का दावा किया। स्कूलों, धार्मिक संस्थानों, विवाह से जुड़े प्रदाताओं और समुदाय में व्यापक जागरूकता ने लोगों की सोच और व्यवहार में स्पष्ट बदलाव लाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अभियान की पहली वर्षगाँठ पर 100 दिवसीय सघन जागरूकता अभियान की शुरुआत की है, जिसका समापन 8 मार्च 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर होगा।

अभियान तीन चरणों में चलेगा,
पहले चरण में स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
दूसरे चरण में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा सहित विवाह से जुड़े स्थानों व सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
तीसरे चरण में ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं और समुदाय की भागीदारी को सशक्त किया जाएगा।

राज्य सरकार ने संबंधित विभागों—स्वास्थ्य, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा—को सक्रिय सहयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं ताकि लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।

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