आतंकवाद, ऊर्जा और यूक्रेन शांति पर मोदी–पुतिन की बड़ी सहमति
23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं ने सुरक्षा, ऊर्जा, शांति और रणनीतिक साझेदारी पर साझा समझ दिखाई
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आतंकवाद पर वैश्विक एकता और सहयोग बढ़ाने पर जोर
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भारत ने रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का ई-टूरिस्ट वीज़ा घोषित किया
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रूस ने ऊर्जा, तेल–गैस और न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया
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यूक्रेन शांति प्रक्रिया पर भारत की संतुलित भूमिका को पुतिन ने सराहा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 05 दिसंबर:भारत और रूस के बीच 23वां वार्षिक शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया तेज़ राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल से गुजर रही है। यूक्रेन युद्ध चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, अमेरिका रूस पर दबाव बढ़ा रहा है, और ऊर्जा का भू-राजनीतिक संतुलन पूरी तरह बदल चुका है। इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिल्ली में हुई मुलाकात को सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक प्रभाव वाली बैठक माना जा रहा है।
दोनों नेताओं की मुलाकात—रिश्तों में भरोसे का पुनर्पुष्टि
हैदराबाद हाउस में हुई वार्ता बेहद विस्तृत और बहु-आयामी रही। प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि ठीक 25 साल पहले राष्ट्रपति पुतिन ने भारत–रूस रणनीतिक साझेदारी की आधारशिला रखी थी। उन्होंने कहा कि अनेक वैश्विक संकटों के बावजूद यह रिश्ता एक ध्रुव तारे की तरह स्थिर रहा है।
दोनों देशों ने 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को जारी रखने, तेल-गैस, रक्षा, तकनीक, शिक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
पीपुल-टू-पीपुल कनेक्ट मजबूत करने का बड़ा फैसला
भारत ने रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का ई-टूरिस्ट वीज़ा और 30 दिन का ग्रुप ई-वीज़ा शुरू करने की घोषणा की। मोदी ने कहा कि इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा बल्कि दोनों समाजों के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत होगा। उन्होंने यह भी बताया कि रूस में भारत के दो नए कांसुलेट खुलने से लोगों और कारोबारों को सीधा फायदा होगा।
यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्पष्ट और संतुलित स्थिति
पीएम मोदी ने यूक्रेन को लेकर कहा कि भारत शुरू से ही संवाद और कूटनीति के जरिए समाधान का समर्थक रहा है। उन्होंने साफ कहा कि यह संघर्ष सीधे मानवता पर असर डाल रहा है और स्थायी शांति के लिए बातचीत ही रास्ता है।
राष्ट्रपति पुतिन ने भारत की इस भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि रूस समझता है कि भारत वैश्विक शांति प्रयासों में एक तटस्थ और जिम्मेदार भागीदार है।
आतंकवाद पर साझा स्वर—कड़ा और निर्णायक संदेश
आतंकवाद पर दोनों देशों ने फिर से एकमत रुख दिखाया। मोदी ने पहलगाम हमले और मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल हमले का जिक्र करते हुए कहा कि “इनकी जड़ एक है—मानवता को निशाना बनाना। इसके खिलाफ वैश्विक एकता जरूरी है।”
पुतिन ने कहा कि रूस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है और सुरक्षा सहयोग दोनों देशों के रिश्तों की एक मजबूत कड़ी है।
ऊर्जा, तेल और गैस—रूस का भारत को आश्वासन
रूस ने भारत को भरोसा दिलाया कि वह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सबसे ऊपर रखता है। पुतिन ने कहा कि रूस तेल, प्राकृतिक गैस और पेट्रो-प्रोडक्ट्स की स्थिर आपूर्ति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उनके अनुसार, दोनों देशों के बीच रुपये के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा है, जिससे व्यापारिक लेनदेन आसान हो रहा है।
कुडनकुलम न्यूक्लियर प्रोजेक्ट—तेजी से आगे बढ़ता सहयोग
राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि भारत के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र—कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट—में 6 में से 3 रिएक्टर पहले ही बिजली ग्रिड से जुड़ चुके हैं और बाकी पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि “यह प्रोजेक्ट भारत के घरों और उद्योगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभाएगा।”
बड़े मंचों पर सामंजस्य—BRICS और SCO में साझेदारी
दोनों नेताओं ने BRICS, SCO और ग्लोबल साउथ देशों के साथ मिलकर स्वतंत्र और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करने पर बल दिया।
पुतिन ने कहा कि भारत विश्व राजनीति में स्थिर और स्वतंत्र आवाज है, और रूस इस भूमिका का सम्मान करता है।
बैठक की टाइमिंग क्यों अहम?
यह शिखर सम्मेलन अमेरिका के उस समय आया है जब वह भारत से रूस से तेल खरीद पर दबाव बढ़ा रहा है और यूक्रेन शांति समझौते पर अधिक सहयोग चाहता है। ऐसे माहौल में भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह राष्ट्रीय हितों, रणनीतिक स्वायत्तता और संतुलित कूटनीति के सिद्धांत पर काम करता रहेगा।
यह बैठक इस सवाल का भी उत्तर देती है कि भारत कैसे अमेरिका और रूस—दोनों से संबंधों का संतुलन बनाए हुए है, और आगे भी रखेगा।
पुतिन का औपचारिक स्वागत—कूटनीति की गर्मजोशी
दूसरे दिन की शुरुआत में राष्ट्रपति पुतिन ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर गार्ड ऑफ ऑनर स्वीकार किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। राष्ट्रगान के बाद पुतिन ने निरीक्षण किया और भारतीय सम्मान को सिर झुकाकर स्वीकार किया।
इसके बाद पुतिन एक बड़े बिजनेस इवेंट में शामिल हुए, जहां कंपनियों ने व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा की। शाम को राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में औपचारिक बैंक्वेट आयोजित किया गया।