लाखों की भीड़ के बीच बाबरी मस्जिद की बुनियाद रखूंगा, हुमायूं कबीर

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  • हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की बुनियाद रखने का ऐलान किया
  • जमीन विवाद के बावजूद 2 लाख लोगों की भीड़ का दावा
  • टीएमसी ने कहा, पार्टी का इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं
  • 22 दिसंबर को नई पार्टी लॉन्च करने का एलान

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 6 दिसंबर:मुर्शिदाबाद की बेलडांगा तहसील आज बंगाल की राजनीति का नया केंद्र बन गई है। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नेता हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने का दावा करते हुए राज्य सरकार और अपनी ही पूर्व पार्टी को खुली चुनौती दे दी है। यह घोषणा उस समय सामने आई है, जब 1992 के विवादित ढांचे के ढहाने की बरसी पर पूरे देश में सतर्कता बढ़ाई जाती है।

कबीर ने एनडीटीवी से बात करते हुए उसी जमीन पर खड़े होकर कहा कि “यहीं से नई शुरुआत होगी।” उन्होंने आठ कट्टा जमीन का दावा किया, जहां मस्जिद निर्माण शुरू करने की तैयारी की बात कही जा रही है। हालांकि पहले जिस प्लॉट को उन्होंने चिन्हित बताया था, उसके मालिक ने स्पष्ट किया था कि वहां पेट्रोल पंप बनना है, मस्जिद नहीं।

इसके बावजूद कबीर ने नई जमीन दिखाकर ऐलान कर दिया कि एक विशाल भीड़ के बीच नींव रखी जाएगी। स्थानीय इलाकों में बीते तीन दिनों से बाबरी मस्जिद के प्रस्तावित डिजाइन वाले पोस्टर, पर्चे और होर्डिंग्स लगाए गए हैं—जिनमें तीन गुंबद का वही पैटर्न दिखाया गया है, जिसे कबीर अयोध्या की यादों से जोड़कर पेश कर रहे हैं।

बेलडांगा हाईवे के पास यह जमीन पुलिस स्टेशन से महज पांच किलोमीटर दूर है। कबीर का दावा है कि निर्माण सामग्री कंकरीट, सीमेंट, सरिया सब इकट्ठा कर ली गई है।

टीएमसी ने किया किनारा

4 दिसंबर को पार्टी ने हुमायूं कबीर को निलंबित कर साफ कहा कि
“तृणमूल कांग्रेस का इस कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं है।”
लेकिन कबीर ने इसे अपने लिए राजनीतिक अवसर बताते हुए घोषणा कर दी कि वह 22 दिसंबर को नई पार्टी लॉन्च करेंगे, जो लगभग 130–135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि कबीर खुद को “बंगाल का ओवैसी” स्थापित करना चाहते हैं और मुस्लिम वोट बैंक में नई जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

सियासी तापमान बढ़ा

6 दिसंबर का प्रतीकात्मक महत्व, विवादित मुद्दा, और बड़ी भीड़ की घोषणा, इन चारों कारणों ने इस कार्यक्रम को हाई-अलर्ट पर ला दिया है। प्रशासन तैयारी में जुटा है, जबकि राजनीतिक दलों में कबीर के इस कदम पर खामोश तनाव साफ दिख रहा है

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