पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का निधन

वरिष्ठ अधिवक्ता और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल रहे कौशल पिछले कुछ समय से बीमार; बेटी बांसुरी स्वराज हुईं भावुक—दिल्ली BJP ने की पुष्टि

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  • 73 वर्ष की उम्र में स्वराज कौशल का निधन, दिल्ली भाजपा ने दी आधिकारिक जानकारी
  • बांसुरी स्वराज के पिता और सुषमा स्वराज के जीवनसाथी थे स्वराज कौशल
  • 37 साल की उम्र में मिजोरम के सबसे युवा राज्यपाल बने थे
  • आपातकाल के दौरान बड़ौदा डायनामाइट केस में निभाई थी अहम कानूनी भूमिका

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 दिसंबर: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति, वरिष्ठ अधिवक्ता और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का गुरुवार को 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। माना जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि दिल्ली भाजपा ने अपने एक्स हैंडल पर की। इस खबर के सामने आते ही राजनीतिक और कानूनी जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

स्वराज कौशल की बेटी और भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के लिए यह क्षति बेहद व्यक्तिगत है। कुछ वर्षों पहले मां सुषमा स्वराज को खोने के बाद अब पिता का जाना उनके जीवन में गहरी रिक्तता छोड़ गया है। परिवार के करीबी लोगों के अनुसार, कौशल का जीवन हमेशा अनुशासन, सरलता और सेवा की भावना से भरा रहा।

37 साल की उम्र में राज्यपाल बनने की मिसाल

1990 में, मात्र 37 वर्ष की उम्र में, स्वराज कौशल को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वे उस समय देश के सबसे युवा राज्यपाल बने थे और 9 फरवरी 1993 तक इस पद पर रहे। दिलचस्प बात यह है कि उनकी पत्नी सुषमा स्वराज भी अपने समय में देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनी थीं, एक ऐसा दंपति जिसने भारतीय राजनीति में अलग पहचान बनाई।

राजनीति और कानून, दोनों में उल्लेखनीय सफर

स्वराज कौशल का सफर केवल राज्यपाल बनने तक सीमित नहीं था।
1998 में वे हरियाणा विकास पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद बने और 2004 तक ऊपरी सदन के सदस्य रहे।
एक समय ऐसा भी आया जब 1998-99 में सुषमा स्वराज लोकसभा में और स्वराज कौशल राज्यसभा में थे, और 2000 से 2004 तक दोनों साथ में राज्यसभा में बैठते थे।

आपातकाल के दौरान उनका कानूनी योगदान विशेष रूप से याद किया जाता है।
बड़ौदा डायनामाइट केस में, जब जॉर्ज फर्नांडीज सहित 24 लोगों पर आरोप लगाए गए, तब उनकी पैरवी स्वराज कौशल ने की थी, यह मामला उन्हें देश के प्रमुख कानूनी मस्तिष्कों में शुमार करता है।

दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने लिखा,
“स्वराज कौशल जी ने निष्ठा, बुद्धिमत्ता और अनुकरणीय समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा की। उनका जाना देश की हानि है।”

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