कर्नाटक में महिला कर्मचारियों को अब मिलेगी मासिक धर्म अवकाश
18–52 वर्ष की सभी महिला सरकारी कर्मचारियों को साल में 12 दिन मासिक धर्म अवकाश मिलेगा, मेडिकल सर्टिफिकेट की भी जरूरत नहीं
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कर्नाटक सरकार ने महिलाओं के लिए पेड मेंस्ट्रुअल लीव नीति को मंजूरी दी
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18–52 वर्ष आयु वर्ग की महिला सरकारी कर्मचारी हर महीने 1 दिन छुट्टी ले सकेंगी
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छुट्टी के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं, अलग रिकॉर्ड में दर्ज होगा
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फैसले से 1.5 लाख से अधिक महिला कर्मचारियों को लाभ मिलेगा
समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु, 4 दिसंबर: कर्नाटक सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए मासिक धर्म अवकाश (मेंस्ट्रुअल लीव) नीति को मंजूरी दे दी है। नई नीति के तहत 18 से 52 वर्ष उम्र की सभी महिला सरकारी कर्मचारियों को हर महीने एक दिन की पेड मेंस्ट्रुअल लीव मिलेगी। इस प्रकार कर्मचारी साल में कुल 12 दिन का विशेष अवकाश ले सकेंगी।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नीति महिला कर्मचारियों की सुविधा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर भलाई को ध्यान में रखकर लागू की गई है। यह अवकाश स्थायी, संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) और आउटसोर्स सभी श्रेणी की महिला कर्मचारियों पर लागू होगा। खास बात यह है कि इस छुट्टी के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होगी। विभागों को इसे अटेंडेंस या लीव रजिस्टर में अलग से दर्ज करना होगा। हालांकि, इस अवकाश को किसी अन्य छुट्टी के साथ क्लब नहीं किया जा सकेगा।
याचिका के बाद आया फैसला
यह निर्णय बैंगलोर होटल एसोसिएशन की उस याचिका के बाद लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि पहले बनाई गई मेंस्ट्रुअल लीव नीति भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसमें सरकारी महिला कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया था। अदालत में इस तर्क को रखने के बाद सरकार ने मौजूदा नीति में संशोधन करते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों को शामिल कर लिया।
1.5 लाख से ज्यादा महिला कर्मचारियों को लाभ
राज्य सरकार के मुताबिक, इस नई नीति से 1.5 लाख से अधिक महिला सरकारी कर्मचारियों को फायदा पहुंचेगा। श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि यह कदम महिलाओं के स्वास्थ्य, सम्मान और मानसिक मजबूती को बढ़ावा देगा और कार्यस्थल पर उनके लिए एक बेहतर माहौल तैयार करेगा।
नए निर्देशों की मुख्य बातें
- मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं
- अवकाश किसी अन्य छुट्टी के साथ नहीं जोड़ा जाएगा
- दफ्तरों में मेंस्ट्रुअल लीव का अलग रजिस्टर बनाया जाएगा
एसोसिएशन की याचिका में यह भी कहा गया था कि राज्य में महिलाओं की सबसे अधिक नौकरियां सरकारी विभागों में हैं, ऐसे में उन्हें इस सुविधा से दूर रखना अनुचित है। इस तर्क को मानते हुए सरकार ने इसे सभी सरकारी महिला कर्मचारियों पर लागू कर दिया।