अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा प्रधानमंत्री कार्यालय
नाम परिवर्तन को मोदी सरकार के उपनिवेशमुक्त और जनसेवा केंद्रित प्रशासनिक बदलावों का हिस्सा बताया गया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 03 दिसंबर: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह बदलाव केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि शासन की उस सोच का प्रतीक है जिसमें सत्ता के बजाय सेवा, जवाबदेही और जनता-प्राथमिकता को केंद्र में रखा गया है। पीएमओ जल्द ही अपने नए परिसर में शिफ्ट होगा, जिसके पूरा होने के बाद यह परिसर आधिकारिक रूप से ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा।
यह नया परिसर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत तैयार किया जा रहा है और अपने अंतिम चरण में है। पहले इसे ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के नाम से जाना जाता था। नए कॉम्प्लेक्स में पीएमओ के अलावा कैबिनेट सचिवालय, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सचिवालय (NSCS) और इंडिया हाउस भी होंगे। ‘इंडिया हाउस’ वह विशेष स्थान होगा जहां विदेशी नेताओं और उच्चस्तरीय मेहमानों के साथ आधिकारिक बैठकें और राजनयिक बातचीत होगी।
अधिकारियों ने बताया कि ‘सेवा तीर्थ’ एक ऐसा कार्यस्थल होगा जिसे सेवा-भाव, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। उनके अनुसार, भारत के सार्वजनिक संस्थानों में पिछले कुछ वर्षों से एक “शांत लेकिन गहरा परिवर्तन” हो रहा है, जो शासन की मूल भावना को बदल रहा है—सत्ता से सेवा, अधिकार से जवाबदेही और दूरी से नागरिक-केंद्रित नीतियों की ओर।
उपनिवेशकालीन पहचान हटाने का निरंतर प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कई उपनिवेशकालीन नामों और प्रतीकों को बदला गया है। इस प्रक्रिया की शुरुआत 2016 में हुई जब प्रधानमंत्री के आवास 7, रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। इसके बाद यह प्रयास लगातार जारी रहा।
2022 में, राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया। हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से राजभवन और राजनिवास के नाम बदलकर क्रमशः लोक भवन और लोक निवास करने के निर्देश दिए। आठ राज्यों और लद्दाख में यह बदलाव लागू भी हो चुका है। सरकार का कहना है कि ‘राजभवन’ जैसे नाम औपनिवेशिक मानसिकता से जुड़े हैं, जिन्हें आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप बदलना आवश्यक है।
इसी सोच के तहत प्रशासनिक केंद्रों में भी बदलाव हो रहा है—सेंट्रल सचिवालय का नया नाम कर्तव्य भवन रखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह केवल छवि बदलने का प्रयास नहीं, बल्कि शासन की संस्कृति को नए मूल्यों—कर्तव्य, सेवा और पारदर्शिता, के अनुरूप पुनर्परिभाषित करने का हिस्सा है।
सरकार के अनुसार, पीएमओ का ‘सेवा तीर्थ’ नाम इस भावना को मजबूत करता है कि शासन का सर्वोच्च केंद्र भी जनता की सेवा के लिए ही अस्तित्व में है, और यह परिसर देश की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को दिशा देने का केंद्र बनेगा।