पुतिन के भारत दौरे में कौन-कौन सी बड़ी डील्स? S-500 पर चर्चा क्यों अहम

2022 के बाद पहली बार भारत आ रहे रूसी राष्ट्रपति पुतिन। 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा, ऊर्जा और व्यापार में 10-15 बड़े समझौते होने की संभावना।

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  • S-400 की नई रेजिमेंट और SU-57 स्टील्थ फाइटर पर तकनीक ट्रांसफर की बड़ी चर्चा।
  • S-500 एयर डिफेंस सिस्टम के संयुक्त उत्पादन पर संभावित समझौता।
  • अमेरिका की पाबंदियों के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र में रिकॉर्ड रूसी तेल आयात और नए निवेश।
  • डिजिटल पेमेंट सिस्टम, आर्कटिक प्रोजेक्ट्स और 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य पर फोकस।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 दिसंबर: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2022 के बाद पहली बार भारत आने वाले हैं। 4–5 दिसंबर को होने वाला 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सामरिक समझौतों का मंच बन सकता है। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर कड़े रुख अपनाए हैं, लेकिन भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत तरीक़े से आगे बढ़ा रहा है।

रक्षा सौदे: S-400 की नई यूनिट्स से लेकर S-500 तक

भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीन रेजिमेंट मिल चुकी हैं और बाकी दो अगले साल मिलेंगी। सीमा सुरक्षा की बदलती ज़रूरतों को देखते हुए अतिरिक्त S-400 यूनिट्स का प्रस्ताव भी चर्चा में है।
सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव है SU-57 फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट, जिसके लिए रूस लगभग 70% तकनीक ट्रांसफर देने को तैयार है। इससे भारत में इसका संभावित स्थानीय उत्पादन संभव हो सकता है। यह “आत्मनिर्भर भारत” के डिफेंस निर्माण को नई दिशा देगा।

सबसे अधिक ध्यान खींचने वाला विषय है S-500 प्रोमेथियस एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे हाइपरसोनिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। भारत और रूस इसके संयुक्त निर्माण और तकनीकी सहयोग पर बात कर सकते हैं। यह भारत की भविष्य की एयर-एंड-स्पेस डिफेंस रणनीति को नई ताकत देगा।

नौसेना के लिए मिसाइल सिस्टम, रडार और पनडुब्बी अपग्रेड से जुड़े प्रस्ताव भी सूची में शामिल हैं। फिलहाल भारतीय रक्षा आयात का करीब 70% हिस्सा रूस से आता है, और यह साझेदारी भारत की तीनों सेनाओं की क्षमता को मजबूत बनाएगी।

ऊर्जा और व्यापार: अमेरिकी दबाव के बावजूद मजबूत रिश्ते

अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद रूस भारत को दुनिया का सबसे सस्ता कच्चा तेल दे रहा है। 2025 में रिकॉर्ड आयात दर्ज किया गया। शिखर सम्मेलन में दोनों देश 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य तय कर सकते हैं।
कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के तेजी से निर्माण, आर्कटिक ऊर्जा परियोजनाओं में भारत के निवेश, और उन्नत उर्वरक सप्लाई पर भी समझौते संभव हैं।

डॉलर निर्भरता कम करने के लिए भारत-रूस डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे द्विपक्षीय व्यापार अधिक स्थिर और सुरक्षित होगा।

भू-राजनीतिक महत्व

पुतिन का यह दौरा केवल द्विपक्षीय रिश्तों का संकेत नहीं, बल्कि अमेरिकी दबाव के बीच भारत की स्वतंत्र व बहुध्रुवीय विदेश नीति का स्पष्ट संदेश है। BRICS कज़ान सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को मिले रूस के सर्वोच्च सम्मान के बाद यह यात्रा दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देगी।

सूत्रों के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में कुल 10–15 नए समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।

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