2000 वैदिक मंत्र जप कर 50 दिन की साधना पूरी करने वाले 19 वर्षीय देवव्रत की PM मोदी ने की सराहना
देवव्रत महेश रेखे ने 200 साल बाद ‘दंडाक्रमा पारायण’ पूरा कर सनातन परंपरा में असाधारण उपलब्धि हासिल की।
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19 वर्षीय बटुक ने बिना ग्रंथ देखे शुक्ल यजुर्वेद के 2000 मंत्रों का शुद्ध उच्चारण किया।
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50 दिनों तक बिना रुकावट ‘दंडाक्रमा पारायण’ पूरा किया, जिसे 200 साल बाद दोहराया गया है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने इसे गुरु-परंपरा और काशी की गौरवशाली साधना बताया।
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देवव्रत को स्वर्ण कंगन और 1,11,116 रुपए का सम्मान प्रदान किया गया।
समग्र समाचार सेवा
वाराणसी, 02 दिसंबर: महाराष्ट्र के अहिल्या नगर निवासी 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिन शाखा के 2,000 वैदिक मंत्रों का दंडाक्रमा पारायण सफलतापूर्वक पूरा किया। वैदिक परंपरा के विशेषज्ञों का कहना है कि यह साधना लगभग 200 वर्ष बाद किसी बटुक द्वारा पूर्ण की गई है। यह पाठ अत्यंत जटिल, लंबा और कठिन माना जाता है, जिसमें स्वर, मात्रा और उच्चारण का पूर्ण संतुलन आवश्यक है।
शास्त्रीय शैली में बिना रोक–टोक 50 दिन का पाठ
देवव्रत ने लगातार 50 दिनों तक बिना किसी रुकावट, बिना किसी शुद्धि-भंग और बिना ग्रंथ देखे मंत्रोच्चार किया। शास्त्रीय वैदिक शैली में इतने लंबे समय तक पाठ करना अत्यंत दुर्लभ माना जाता है।
वीडियो में देवव्रत पूर्ण लय और शुद्ध उच्चारण के साथ मंत्रों का पाठ करते दिखाई देते हैं।
देवव्रत को मिला ऐतिहासिक सम्मान
देवव्रत को उनकी इस तपस्या और वैदिक विशेषज्ञता के सम्मान में 5 लाख रुपये मूल्य का स्वर्ण कंगन और 1,11,116 रुपये की राशि भेंट की गई। यह सम्मान दक्षिणामनया श्री शृंगेरी शारदा पीठम के जगद्गुरु शंकराचार्यों के आशीर्वाद के साथ प्रदान किया गया, जिसे वैदिक परंपरा में अत्यंत प्रतिष्ठित माना जाता है।
जानिए कौन हैं देवव्रत महेश रेखे
देवव्रत महाराष्ट्र के अहिल्या नगर के रहने वाले हैं और वाराणसी स्थित सांगवेदविद्यालय के बटुक हैं। उनके पिता वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे स्वयं वैदिक परंपरा के विद्वान हैं।
देवव्रत ने इस साधना के लिए रोज़ाना लगभग चार घंटे अभ्यास किया और लंबे समय की मेहनत के बाद दंडाक्रमा पारायण पूर्ण किया।
प्रधान मंत्री मोदी ने बताया प्रेरक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर देवव्रत की तस्वीरें साझा करते हुए उनकी उपलब्धि को अद्भुत बताते हुए लिखा कि 19 वर्षीय यह साधक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
पीएम ने कहा कि दंडाक्रमा पारायण भारतीय वैदिक परंपरा की सर्वोच्च साधना है और देवव्रत ने इसे शुद्धता के साथ पूर्ण कर गुरु-परंपरा का सर्वोत्तम स्वरूप प्रस्तुत किया है।
उन्होंने यह भी लिखा कि काशी की पवित्र भूमि पर यह साधना पूर्ण होना गर्व की बात है और इसमें सहयोग देने वाले परिवार, संतों और संस्थाओं को प्रणाम है।