दिल्ली में प्रदूषण का नौवां दिन: 11 इलाके ‘गंभीर’

राजधानी में लगातार नौवें दिन हवा 'बहुत खराब' श्रेणी में, कई क्षेत्रों में AQI 450 के पार दर्ज

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  • लगातार नौवें दिन दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ (Very Poor) श्रेणी में बनी हुई है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शहर के 11 इलाकों में AQI ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में दर्ज किया गया है।
  • प्रदूषण के स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को विशेष सावधानी बरतने और घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 नवंबर: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले नौ दिनों से दिल्ली-एनसीआर की हवा लगातार जहरीली बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार (22 नवंबर) को शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 370 दर्ज किया गया, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी को दर्शाता है। सुबह के 360 के स्तर से इसमें शाम होते-होते और बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह दिखाता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद राजधानी को प्रदूषण की इस गंभीर चुनौती से फिलहाल निजात नहीं मिली है।

सबसे चिंताजनक स्थिति उन 11 निगरानी स्टेशनों पर दर्ज की गई, जहां AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। शनिवार शाम चार बजे वजीरपुर में सबसे अधिक 448 का AQI दर्ज किया गया, जिसने खतरनाक स्तर छू लिया। इसके अलावा, आनंद विहार, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका और विवेक विहार जैसे कई अन्य इलाकों में भी वायु गुणवत्ता 400 के आंकड़े को पार कर गई, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।

रविवार सुबह भी नहीं मिली राहत

रविवार सुबह की स्थिति भी कुछ अलग नहीं रही। दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ (Severe) से ‘अत्यंत गंभीर’ (Hazardous) श्रेणी के करीब बनी रही। नोएडा के पास लोनी में सुबह AQI 473, इदिरापुरम में 472 और रोहिणी में 460 दर्ज किया गया। यह स्तर उन लोगों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है, जिन्हें सांस संबंधी बीमारियां हैं या जो बुजुर्ग हैं। यह डेटा स्पष्ट करता है कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है, और लोगों को सुबह की सैर जैसी गतिविधियों से पूरी तरह परहेज करने की जरूरत है।

प्रदूषक तत्वों का बढ़ता असर

राजधानी में प्रमुख प्रदूषक तत्व PM 2.5 और PM 10 हैं, जिनकी मात्रा मानक स्तर से काफी अधिक हो गई है। CPCB के अनुसार, शनिवार को PM 10 का स्तर तीन गुना से अधिक बढ़कर 336 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जबकि इसका सामान्य मानक बहुत कम होता है। ये महीन कण सांस के जरिए फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं, जिससे न केवल सांस लेने में तकलीफ होती है, बल्कि लंबे समय में हृदय और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। हवा की गति कम होने और तापमान में गिरावट के कारण ये कण सतह के करीब जमा हो रहे हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।

स्वास्थ्य सलाह और सरकारी निर्देश

प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे बाहर निकलने से बचें, और यदि बहुत जरूरी हो तो N95 मास्क का उपयोग करें। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है।

इससे पहले, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें निजी दफ्तरों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work From Home) लागू करने की सलाह दी गई थी। यह कदम सड़क पर वाहनों की संख्या कम करने और प्रदूषण के स्रोत को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया था। हालांकि, जब तक मौसम की अनुकूलता नहीं बनती या स्थानीय और पड़ोसी राज्यों के प्रयासों से पराली और धूल जैसे कारकों पर नियंत्रण नहीं होता, तब तक दिल्ली को इस जहरीली हवा से मुक्ति मिलना मुश्किल है।

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