चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के दायरे में लेन की तयारी: आप और कांग्रेस का विरोध

केंद्र के प्रस्ताव पर पंजाब में AAP और कांग्रेस का कड़ा विरोध, 'दावे को कमजोर करने की साजिश'

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  • केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल करने के लिए 131वां संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
  • इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य चंडीगढ़ में प्रशासक के रूप में एक उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करना है, जिससे यह विधानसभा रहित अन्य केंद्र शासित प्रदेशों जैसा हो जाएगा।
  • पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी दल कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए इसे चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक दावे को कमजोर करने की साजिश करार दिया है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 नवंबर: राष्ट्रीय और राजनीतिक गलियारों में इस वक्त एक नया विवाद सुर्खियों में है। केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के प्रशासन से संबंधित एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक लाने की योजना बना रही है। लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिनों के अनुसार, केंद्र सरकार 131वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी, जिसका लक्ष्य चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाना है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को उन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियम बनाने की शक्ति देता है जिनकी अपनी विधान सभाएं नहीं हैं, जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह या लक्षद्वीप।

वर्तमान में, चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल द्वारा प्रशासक के तौर पर संभाला जाता है, जिसकी शुरुआत 1 जून 1984 से हुई थी। इससे पहले, 1 नवंबर 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद से यह मुख्य सचिव के अधीन था। केंद्र के इस नए कदम का सीधा परिणाम यह होगा कि चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक या उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति की जा सकेगी, जिससे केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासनिक ढाँचा बदल जाएगा।

पंजाब की राजनीतिक दलों का तीव्र विरोध

इस प्रस्तावित संशोधन की खबर सामने आते ही पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। इन दलों का मानना है कि यह कदम चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक, संवैधानिक और भावनात्मक दावे को कमजोर करने की एक सुनियोजित चाल है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह संशोधन पंजाब के हितों के खिलाफ है और इस साजिश को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। मान ने याद दिलाया कि चंडीगढ़ को पंजाब के गांवों को उजाड़कर बनाया गया था और इस पर पंजाब का पूर्ण अधिकार है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से भी अपने विरोध को दर्ज किया और कहा कि वे अपना अधिकार नहीं गंवाएंगे।

‘दिनदहाड़े लूट’ और गंभीर परिणाम की चेतावनी

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने भी इस प्रस्ताव को अनुचित बताया। साहनी ने कहा कि नए कानून के तहत चंडीगढ़ का प्रशासन एक स्वतंत्र प्रशासक द्वारा किया जाएगा और इसके प्रशासनिक नियम लक्षद्वीप जैसे अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के समान होंगे। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि 1966 में पुनर्गठन के बाद भी केंद्र ने चंडीगढ़ को पंजाब की विशेष राजधानी बनाने का वादा किया था, क्योंकि विभाजन के बाद लाहौर पाकिस्तान में चला गया था। AAP के एक अन्य सांसद, मलविंदर सिंह कंग ने इस कदम को ‘सुधार नहीं, बल्कि दिनदहाड़े लूट’ करार दिया।

वहीं, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने केंद्र सरकार को गंभीर परिणाम की चेतावनी दी है। वड़िंग ने कहा, “चंडीगढ़ पंजाब का है और इसे छीनने की किसी भी कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे।” उन्होंने मुख्यमंत्री मान से आग्रह किया कि वे देरी न करते हुए इस मामले को तुरंत केंद्र के सामने उठाएं और इस प्रस्ताव को जड़ से खत्म कराएं। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा (कांग्रेस) ने भी सभी पंजाबियों से पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एकजुट होने का आह्वान किया ताकि अपनी जायज राजधानी की रक्षा की जा सके। यह राजनीतिक तनातनी अब संसद के आगामी सत्र में एक बड़े टकराव का रूप ले सकती है।

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