नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना; शपथ ग्रहण की तैयारियां पूरी
- नीतीश कुमार 20 नवंबर, गुरुवार को रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
- उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के विधायक दल का नेता चुना गया है।
- शपथ ग्रहण समारोह पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेता शामिल होंगे।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 18 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को मिली भारी जीत के बाद, जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) के मुखिया नीतीश कुमार एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार हैं। उन्हें बुधवार (19 नवंबर) को एनडीए के विधायक दल का नेता चुन लिया गया है, जिसके साथ ही वह रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। यह उनकी लंबी राजनीतिक यात्रा में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो राज्य की राजनीति में उनके अटूट प्रभाव को दर्शाता है।
NDA के सभी घटक दलों ने नीतीश कुमार के नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जहां सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुना, वहीं गठबंधन के सभी सहयोगियों – लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा – ने भी उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया। इस प्रचंड जनादेश ने यह साफ कर दिया है कि बिहार की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी पर अपना विश्वास कायम रखा है।
ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण
नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 20 नवंबर, गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित किया जाएगा। इस भव्य आयोजन के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह समारोह सिर्फ एक सरकार का शपथ ग्रहण नहीं, बल्कि एनडीए की चुनावी प्रभुत्व का जश्न होगा। सूत्रों के अनुसार, समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं।
गांधी मैदान को 17 से 20 नवंबर तक आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है ताकि भव्य कार्यक्रम के लिए जरूरी व्यवस्थाएं की जा सकें। इस दौरान एक अनुमान के मुताबिक 35 सदस्यीय नए मंत्रिपरिषद को भी शपथ दिलाई जाएगी, जिसमें एनडीए के सभी सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है।
गठबंधन में सीट बंटवारे का समीकरण
NDA ने इस चुनाव में 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है, जो बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक है। बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी एकल पार्टी बनकर उभरी है, जबकि जेडीयू ने 85 सीटें जीती हैं। गठबंधन के अन्य सहयोगियों में लोजपा (रामविलास) को 19, हम-सेक्युलर को 5 और आरएलएम को 4 सीटें मिली हैं।
मंत्रिमंडल में सीट बंटवारे को लेकर भी अंतिम दौर की चर्चाएं हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी के 16 मंत्री और जेडीयू के 14 मंत्री मुख्यमंत्री के साथ शपथ ले सकते हैं। इस बार उप मुख्यमंत्री का पद भी भाजपा के पास रहेगा, जिसके लिए सम्राट चौधरी का नाम तय माना जा रहा है। छोटे सहयोगी दलों को भी उनके विधायक संख्या के अनुपात में मंत्री पद दिए जाएंगे।
नीतीश का राजनीतिक सफर और चुनौतियाँ
74 वर्षीय नीतीश कुमार का यह 10वां मुख्यमंत्री कार्यकाल उनकी राजनीतिक दृढ़ता और ‘पलटकर फिर से सत्ता में लौटने’ की क्षमता को दर्शाता है। पिछले दो दशकों में वह कई बार गठबंधन बदलकर भी बिहार की राजनीति के केंद्र में बने रहे हैं। ‘सुशासन बाबू’ के रूप में उनकी छवि और विकास पर उनका जोर हमेशा उनके पक्ष में काम करता रहा है।
इस कार्यकाल में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के विकास की गति को बनाए रखने, कानून-व्यवस्था में सुधार करने और शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की होगी। एनडीए के भीतर विभिन्न घटक दलों के बीच संतुलन बनाए रखना भी उनके लिए महत्वपूर्ण होगा। बिहार की जनता को अब नई सरकार से स्थिरता और तेज प्रगति की उम्मीद है।