‘पार्टी देखूं या परिवार’, तेजस्वी विधायक दल में भावुक
आरजेडी विधायक दल की बैठक में छलका नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी का दर्द; टिकट बंटवारे पर भी मतभेद स्वीकारे।
- राष्ट्रीय जनता दल (RJD) विधायक दल की बैठक में बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पार्टी और परिवार में चल रही कलह को लेकर बेहद भावुक हो गए।
- तेजस्वी ने स्पष्ट तौर पर पूछा, “मैं परिवार देखूं या फिर पार्टी को देखूं?” और स्वीकार किया कि टिकट बंटवारे को लेकर भी परिवार के भीतर दबाव और मतभेद थे।
- तेजस्वी के भावुक होने पर पिता लालू प्रसाद यादव ने मोर्चा संभाला और उनके दखल के बाद सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से तेजस्वी को पुनः विधायक दल का नेता चुन लिया।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 18 नवंबर: हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार ने न केवल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को सत्ता से बाहर रखा है, बल्कि लालू परिवार के अंदरूनी कलह को भी सार्वजनिक कर दिया है। तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप पहले ही अपना अलग राजनीतिक मार्ग अपना चुके हैं, और अब उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने भी सार्वजनिक रूप से तेजस्वी और उनके सलाहकारों पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए घर छोड़ दिया है। ऐसे तनावपूर्ण माहौल के बीच, सोमवार को पटना में RJD विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और विधायक मौजूद थे।
विधायक दल की बैठक में छलका तेजस्वी का दर्द
जब तेजस्वी यादव ने माइक संभाला, तो उनका चेहरा उतरा हुआ था और वह काफी भावुक नजर आए। उन्होंने पार्टी और परिवार के बीच चल रहे इस द्वंद्व को खुले तौर पर स्वीकार किया।
तेजस्वी ने भावुक होते हुए कहा, “मेरे ऊपर दबाव डाला जा रहा था कि किसी खास शख्स को मैं टिकट न दूं। मैंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। आखिर मुझे क्या करना चाहिए? मैं परिवार देखूं या फिर पार्टी को देखूं?”
तेजस्वी का यह बयान सीधे तौर पर रोहिणी आचार्य के हालिया आरोपों की पुष्टि करता है। रोहिणी आचार्य ने हार के लिए तेजस्वी के निजी सलाहकारों संजय यादव और रमीज को जिम्मेदार ठहराया था। तेजस्वी के इस बयान ने साफ कर दिया कि परिवार के भीतर का मतभेद केवल निजी नहीं, बल्कि राजनीतिक फैसलों और टिकट वितरण तक गहरा था।
लालू ने संभाला मोर्चा और हुई सर्वसम्मति
जब तेजस्वी यादव भावनात्मक रूप से टूटने लगे और “परिवार देखूं या पार्टी” की बात कहते हुए भावुक हो गए, तो तुरंत लालू प्रसाद यादव ने हस्तक्षेप किया।
लालू यादव ने मौके पर मौजूद सभी विधायकों को संबोधित किया और उन्हें एकजुटता का संदेश दिया। उन्होंने विधायकों से कहा कि वे सर्वसम्मति से तेजस्वी यादव को ही विधायक दल का नेता बनाए रखें। लालू के दखल और वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के बाद, भाई वीरेंद्र समेत सभी विधायकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ तेजस्वी यादव को फिर से सर्वसम्मति से नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) चुन लिया। लालू का यह कदम दिखाता है कि पार्टी और परिवार दोनों में तेजस्वी के नेतृत्व पर अभी भी उनकी मुहर कायम है, और वह पार्टी की एकता बनाए रखने के लिए किसी भी कीमत पर प्रयास करने को तैयार हैं।
हालांकि, रोहिणी आचार्य अब भी अपने रुख पर कायम हैं और लगातार सोशल मीडिया के जरिए हमले बोल रही हैं, जिससे तेजस्वी के सामने व्यक्तिगत और राजनीतिक मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई हैं।