चुनाव हारकर भी मिशन नहीं छोड़ा: केसी सिन्हा अब देंगे फ्री IIT-JEE तैयारी
कुम्हरार में बड़ी हार झेलने के बाद गणितज्ञ सिन्हा ने शिक्षा को बनाया अपना हथियार, कहा—“बिहार का हर बच्चा पढ़े, यही मेरा संकल्प।”
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चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद केसी सिन्हा ने बच्चों के लिए मुफ्त ऑनलाइन कोचिंग की घोषणा की।
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सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा—शिक्षा के जरिये ही बिहार को बदलने का सपना।
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कुम्हरार से बीजेपी उम्मीदवार संजय कुमार ने भारी वोटों से दी शिकस्त।
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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से बेहद कमजोर रहा।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 17 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव में कुम्हरार सीट से करारी हार मिलने के बाद भी प्रसिद्ध गणितज्ञ और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार केसी सिन्हा ने राजनीति के मैदान से हटकर शिक्षा के क्षेत्र में नई शुरुआत करने का फैसला लिया है। हार के बाद जहां कई नेता पीछे हट जाते हैं, वहीं सिन्हा ने उल्टा एक ऐसा कदम उठाया है जिसने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
सिन्हा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि वे चुनाव परिणामों से बिल्कुल भी हताश नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि राजनीति उनकी यात्रा का एक हिस्सा था, लेकिन “बिहार के बच्चों की पढ़ाई मेरा असली लक्ष्य है।” उन्होंने घोषणा की कि वे जल्द ही निःशुल्क ऑनलाइन IIT-JEE क्लासेस शुरू करेंगे, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सकें।
वीडियो में उन्होंने कहा—
“पिछले कुछ दिनों में जो प्यार और सम्मान मुझे मिला है, वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। मैं बिहार के छात्रों के लिए मुफ्त ऑनलाइन क्लासेज की तैयारी शुरू कर चुका हूं। आने वाले दिनों में इसकी पूरी जानकारी साझा करूंगा।”
कुम्हरार में भारी अंतर से हार
कुम्हरार सीट पर इस बार के चुनाव में मुकाबला कड़ा नहीं रहा। बीजेपी के संजय कुमार ने 1 लाख से अधिक वोटों के साथ निर्णायक जीत दर्ज की, जबकि केसी सिन्हा केवल करीब 15 हजार वोट ही ला पाए। दोनों के बीच लगभग 85,468 वोटों का अंतर रहा। कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रदीप कुमार दूसरे स्थान पर रहे।
जन सुराज पार्टी की उम्मीदों को बड़ा झटका
चुनाव से पहले जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने जोर-शोर से दावा किया था कि उनकी पार्टी पारंपरिक राजनीति के मुकाबले एक मजबूत विकल्प बनेगी। लेकिन नतीजों ने इन दावों की हवा निकाल दी। पार्टी राज्यभर में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा सकी, और यह चुनाव उसके लिए निराशाजनक साबित हुआ।
ऐसे माहौल में केसी सिन्हा का मुफ्त शिक्षा अभियान न सिर्फ एक सकारात्मक संदेश देता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे अपनी पहचान केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं रखना चाहते। उनके इस निर्णय की चर्चा अब राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक लगातार हो रही है।