भारत के 83% Gen Z युवा खुद को मानते हैं क्रिएटर

YouTube India और SmithGeiger की रिपोर्ट में छोटे शहरों के युवाओं का डिजिटल क्रांति में नेतृत्व

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  • YouTube India और SmithGeiger की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 24 वर्ष के 83% भारतीय युवा (जेन ज़ेड) अब खुद को सक्रिय रूप से कंटेंट क्रिएटर मानते हैं।
  • इस डिजिटल क्रांति का नेतृत्व बड़े शहरों के बजाय मुख्य रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवा कर रहे हैं, जिससे अवसरों का लोकतंत्रीकरण हो रहा है।
  • रिपोर्ट में सामने आया कि 75% युवा इसे एक गंभीर करियर विकल्प के रूप में देखते हैं, जिससे 55% को वित्तीय स्वतंत्रता हासिल हुई है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 नवंबर: हाल ही में YouTube India और प्रसिद्ध रिसर्च फर्म SmithGeiger की एक संयुक्त रिपोर्ट ने भारत में युवाओं की डिजिटल पहचान में आए बड़े बदलाव का खुलासा किया है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में 18 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के 83 प्रतिशत युवा अब केवल कंटेंट के उपभोक्ता नहीं रहे, बल्कि वे खुद को निर्माता यानी ‘कंटेंट क्रिएटर’ मानते हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि डिजिटल दुनिया अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति और करियर निर्माण का एक प्रमुख माध्यम बन चुकी है। यह प्रवृत्ति अब केवल एक सोशल मीडिया ट्रेंड नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की सोच में आया गहरा बदलाव है।

छोटे शहरों से वैश्विक मंच तक

इस रिपोर्ट का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि जेन जेड कंटेंट क्रिएटर की यह लहर अब देश के महानगरों तक सीमित नहीं है। चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि इन युवा क्रिएटर्स में से अधिकांश टियर-2 और टियर-3 शहरों से आते हैं, जिनमें इंदौर, जयपुर, नागपुर और पटना जैसे शहर शामिल हैं। स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुलभता ने भौगोलिक सीमाओं को तोड़ दिया है, और छोटे शहरों के स्थानीय बोली, संस्कृति और कहानियों को वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाने का द्वार खोल दिया है।

पहले जहाँ डिजिटल कंटेंट को ‘बड़े शहरों का खेल’ माना जाता था, वहीं अब इंटरनेट ने सभी के लिए समान अवसर खोल दिए हैं। स्थानीय कंटेंट, क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) में बनकर दुनिया भर में अपनी जगह बना रहा है, जिससे ये युवा अपनी संस्कृति के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भी उभर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 42% युवा महसूस करते हैं कि उनके कंटेंट के माध्यम से उनकी स्थानीय परंपराओं और कहानियों को वैश्विक मंच मिल रहा है।

करियर के रूप में कंटेंट क्रिएशन की स्वीकार्यता

भारत में जेन जेड कंटेंट क्रिएटर अब इसे एक शौक या हॉबी नहीं मानते। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 75 प्रतिशत युवा कंटेंट क्रिएशन को एक गंभीर और पेशेवर करियर विकल्प के तौर पर देखते हैं। यह उनके लिए एक ऐसा रास्ता है, जहाँ वे अपने जुनून को व्यवसाय में बदल सकते हैं। 55 प्रतिशत क्रिएटर्स ने इस बात की पुष्टि की है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ने उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद की है।

यूट्यूब, इंस्टाग्राम और शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल मनोरंजन के टूल नहीं रहे, बल्कि वे युवा उद्यमियों के लिए बिजनेस टूल्स बन गए हैं, जहाँ स्पॉन्सरशिप और मोनेटाइजेशन के माध्यम से कमाई की जा सकती है।

महिला शक्ति और YouTube Shorts का प्रभाव

रिपोर्ट में युवा महिला कंटेंट क्रिएटर्स की बढ़ती भागीदारी को भी उजागर किया गया है। पिछले दो सालों में, यूट्यूब पर महिला क्रिएटर्स की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब महिलाएं केवल फैशन या ब्यूटी कंटेंट तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे शिक्षा, व्लॉगिंग, कुकिंग और अन्य गंभीर विषयों पर भी कंटेंट बना रही हैं।

प्लेटफॉर्म के चयन में, 90 प्रतिशत से अधिक जेन जेड युवा अभी भी अपने विचारों और प्रतिभा को व्यक्त करने के लिए YouTube को सबसे अधिक पसंद करते हैं। विशेष रूप से, YouTube Shorts छोटे वीडियो फॉर्मेट के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट निर्माण को बढ़ावा देने और छोटे शहरों के क्रिएटर्स को तेजी से पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और अधिक लोकतांत्रिक और विविध बन रही है।

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