पूनम शर्मा
दिल्ली के लाल किले के पास हुआ विस्फोट सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि महीनों तक चलती रही एक संगठित साजिश का परिणाम था। जांच में जो सामने आया है, उसने पूरी सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र को चौंका दिया। इस नेटवर्क की जड़ें हरियाणा के नूंह, फरिदाबाद, गुरुग्राम और यूपी के सहारनपुर तक फैली मिलीं।
नूंह का बेस: खेती की आड़ में बारूद
सबसे पहला सुराग बसई मेव (नूंह) के उर्वरक बाजार से मिला, जहां संदिग्धों ने पिछले 3–4 महीनों में धीरे-धीरे NPK खाद खरीदनी शुरू की। वे खुद को “फार्महाउस मालिक” बताते थे ताकि किसी को शक न हो। धीरे-धीरे इन्होंने 26 क्विंटल से अधिक NPK, 1000 किलो अमोनियम नाइट्रेट खरीद लिया — इतनी मात्रा कि इससे कई शक्तिशाली बम बनाए जा सकते थे। यह वही खाद है जो किसान खेत में इस्तेमाल करता है, पर आतंकियों ने इसे बारूद में बदलने की कवायद की।
फरिदाबाद मॉड्यूल: डॉक्टर और छात्र भी शामिल
इस पूरी साजिश का मुख्य चेहरा बताया जा रहा है— डॉ. उमर उन नबी, जो फरिदाबाद मॉड्यूल को लीड कर रहा था। जांच में सामने आया कि समूह के सदस्यों ने मिलकर 20 लाख रुपये जुटाए। यह पैसा डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन वॉलेट, और कुछ हिस्से क्रिप्टो के जरिए इकट्ठा किया गया। इसी फंडिंग से विस्फोटक सामग्री, राइफलें, कारतूस खरीदे गए। हथियार श्रीनगर से “हैंडलर्स” की मदद से भेजे गए। कई संदिग्धों का लिंक अल-फला यूनिवर्सिटी से भी निकल रहा है, जिसने जांच को और गंभीर बना दिया है।
तुर्किये-आधारित हैंडलर ‘उक़ाशा’ की भूमिका
इस साजिश के पीछे एक विदेशी हैंडलर का हाथ सामने आया है—कोडनेम ‘उक़ाशा’। उक़ाशा ही बताता था— क्या खरीदना है,कितना खरीदना है,हथियार कैसे लाने हैं, और दिल्ली में किस जगह निशाना बनाना है। यानी यह सिर्फ एक लोकल गैंग नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था।
डिजिटल पेमेंट ने खोली पूरी चेन
मॉड्यूल ने खाद की खरीदारी में डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल किया, ताकि दिखे कि यह सामान्य कृषि लेन-देन है। लेकिन यही ट्रांजेक्शन अब पुलिस का सबसे बड़ा हथियार बन गए हैं।कम से कम तीन खाद डीलरों ने स्वीकार किया कि संदिग्धों ने खुद को किसान बताकर उनसे सामान खरीदा था।
डिजिटल ट्रेल ने पूरी साजिश को जोड़ दिया।
निष्कर्ष: आधुनिक “खाद-आतंकवाद” का बड़ा खतरा
यह घटना भारत की सुरक्षा को एक बड़ा सबक देती है—आधुनिक आतंकवाद खेतों की खाद, डिजिटल पेमेंट और पढ़े-लिखे युवाओं की आड़ में छिपा बैठा है।
नूंह का सामाजिक ढांचा ,फरिदाबाद का शिक्षित मॉड्यूल,विदेशी हैंडलर ,डिजिटल फंडिंग—सभी मिलकर एक हाई-टेक, संगठित आतंकी मशीन बना रहे थे।लाल किले के पास हुआ विस्फोट इस बड़े प्लान का सिर्फ पहला हिस्सा लगता है जांच तेज़ है, और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे संभव हैं।