पूनम शर्मा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना सुबह 8 बजे शुरू होते ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई। इस बार रिकॉर्ड 67.13% मतदान के बाद सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि जनता किस दिशा में mandate देगी—परिवर्तन या स्थिरता?
सुबह के शुरुआती आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि मुकाबला बेहद दिलचस्प है। शुरुआती रुझानों में जहां BJP पांच सीटों पर आगे दिखाई दे रही है, वहीं RJD भी अपने परंपरागत गढ़ों में मजबूत प्रदर्शन करते हुए दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस भी एक सीट पर आगे है।
RJD ने परंपरागत इलाकों में पकड़ दिखाई
सुबह 9 बजे तक RJD ने बनियापुर और दानापुर—दोनों महत्वपूर्ण सीटों पर बढ़त बनाए रखी। बनियापुर में RJD की चंदिनी देवी 1194 वोटों से आगे चल रही हैं दानापुर में रित लाल राय 1350 वोटों की बढ़त पर हैं।
ये दोनों सीटें RJD की रणनीतिक प्राथमिकता थीं। RJD का फोकस युवाओं, बेरोजगारी और किसान मुद्दों पर रहा है। तेजस्वी यादव लगातार “परिवर्तन निश्चित है” का नारा देते रहे हैं। शुरुआती रुझान दिखा रहे हैं कि यह संदेश कुछ क्षेत्रों में असर भी डाल रहा है।
कांग्रेस की धीमी शुरुआत
बिक्रम विधानसभा सीट से कांग्रेस के अनिल कुमार आगे चल रहे हैं। महागठबंधन के भीतर कांग्रेस की सीटें कम हो सकती हैं, पर कुछ खास सीटों पर वह अभी भी अपने पुराने वोट-बेस पर टिके हुए दिख रही है। यह संकेत है कि ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की पकड़ पूरी तरह खत्म नहीं हुई।
BJP का दमदार शुरुआती प्रदर्शन—NDA के लिए राहत
BJP शुरुआती रुझानों में औऱई, साहेबगंज, बरुराज, राजनगर और कुम्हरार सीटों पर आगे है। इनमें विशेष रूप से कुम्हरार और राजनगर शहरी और अर्ध-शहरी वर्ग के संकेतक माने जाते हैं। यहाँ BJP की बढ़त इस बात का संकेत है कि पार्टी का शहरी वोटबैंक अब भी बहुत मजबूत है।
BJP के लिए यह चुनाव केवल सत्ता का सवाल नहीं बल्कि 2029 की तैयारी वाला चुनाव भी माना जा रहा था। यानी पार्टी पूरी ताकत से मैदान में उतरकर एक आरंभिक राजनीतिक बढ़त बनाना चाहती थी।
नीरज कुमार का जोर—‘NDA सत्ता में लौटेगा’
JD(U) के वरिष्ठ नेता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव के बयान—”परिवर्तन निश्चित है”—पर व्यंग्य करते हुए कहा कि “शायद वे अपनी सीट राघोपुर की बात कर रहे होंगे।”
साथ ही उन्होंने दो बातें स्पष्ट कीं— नीतीश कुमार सिर्फ नेता नहीं, ‘समाज सुधारक’ हैं, NDA सरकार बनाने जा रही है, और उसमें JDU की अहम भूमिका होगी। उनके बयान से यह साफ है कि JD(U) इस चुनाव को अपने राजनीतिक अस्तित्व की निर्णायक परीक्षा की तरह देख रही है। पिछले वर्षों में लगातार पलटवार और राजनीतिक बदलावों के बाद पार्टी अपनी विश्वसनीयता और संगठनात्मक ताकत वापस पाना चाहती है।
सुबह 8 बजे से पहले ही तेजस्वी अपने आवास से बाहर निकले और बहन मीसा भारती के साथ मीडिया से बात करते हुए बोले—
“परिवर्तन निश्चित है।”
तेजस्वी यादव ने इस चुनाव को बेरोजगारी, सामाजिक न्याय और शिक्षा के मुद्दों पर केंद्रित किया। उनकी राजनीति तेज, युवा और आक्रामक रही है। शुरुआती रुझानों में RJD की कुछ सीटों पर बढ़त यह दर्शाती है कि उनका नैरेटिव पूरी तरह फेल नहीं हुआ।
हालांकि, राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में रुझान NDA के पक्ष में जाते दिख रहे हैं—यह उनके “परिवर्तन” दावे को चुनौती भी देता है।
चुनावी माहौल—भारी मतदान का क्या संकेत? इस बार बिहार ने 74.2 मिलियन मतदाताओं में से रिकॉर्ड संख्या में वोटिंग की—
पहला चरण: 65.08%
दूसरा चरण: 68.76%
इतनी बड़ी भागीदारी यह संकेत हो सकती है कि जनता बदलाव चाहती है, या उलटा—सरकार पर भरोसा जताना चाहती है। अभी रुझान केवल संकेत हैं, अंतिम परिणाम मतदान के वास्तविक मनोविज्ञान को उजागर करेंगे।
ग्राउंड लेवल विश्लेषण
BJP के शुरुआती रुझान बताते हैं कि पार्टी ने अपने मजबूत वोट-बैंकों को अच्छी तरह बनाए रखा है। RJD की चुनिंदा सीटों पर बढ़त दर्शाती है कि उसका कोर MY+Y (मुस्लिम-यादव और युवा) समीकरण अब भी प्रभावी है।
कांग्रेस सीमित इलाकों में बेहतर लड़ रही है, लेकिन व्यापक स्तर पर संघर्ष जारी है। JD(U) अपना जनाधार पुनर्जीवित करने की कोशिश में है, पर फैसला परिणाम बताएंगे।
तेजस्वी का “परिवर्तन” नैरेटिव भाजपा-जेडीयू की “स्थिरता” पोज़िशनिंग से टकरा रहा है।
NDA वापसी करेगी सुबह के रुझान NDA को बढ़त दिखा रहे हैं। लेकिन बिहार का चुनाव कई बार दोपहर में, फिर शाम में पूरी तस्वीर बदल देता है।
243 सीटों वाले विधानसभा के लिए किसी भी मोर्चे को 122 सीटों की जरूरत है।
अभी तस्वीर शुरुआती है—लेकिन राजनीतिक तापमान चरम पर है।