NAAC ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को फर्जी मान्यता दिखाने पर नोटिस जारी किया
; भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने भी रद्द की सदस्यता
पूनम शर्मा
किसने सोच था हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक आतंकवाद का कारखाना है जहाँ मुसलमान छात्रों को शिक्षित करने का उद्देश्य एक ही है और वह है भारत में रहने वाले हिंदुओं को खत्म करना और भारत को अस्थिर करना । इसमे शामिल जो भी डॉक्टर हैं वे सभी मुसलमान हैं । यह किस प्रकार के लोग हैं ?
इस बार विश्वविद्यालय पर नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने फर्जी मान्यता दिखाने के आरोप में शो-कॉज़ नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) ने भी अपनी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को लंबे समय से एक शांति-प्रिय और शैक्षणिक संस्थान के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन अब नियामक और शिक्षा संस्थानों की नजर इस विश्वविद्यालय पर विशेष निगरानी रख रही है। NAAC ने नोटिस में स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर “NAAC Accredited” होने का दावा किया जबकि न तो यह संस्थान कभी साइकिल वन (Cycle 1) के लिए आवेदन किया और न ही उसे कभी कोई मान्यता दी गई। इस संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि किसी विशेष पंथ के लोगों के शिक्षा संस्थान पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता ।
NAAC का नोटिस: छात्रों को भ्रमित करने वाला दावा
NAAC ने अपने नोटिस में कहा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर यह दावा छात्रों और अभिभावकों को भ्रमित कर सकता है।
नोटिस में यह चेतावनी दी गई है कि विश्वविद्यालय को 30 दिनों के भीतर विस्तृत स्पष्टीकरण देना होगा। NAAC ने इसे केवल एक प्रशासनिक अनियमितता नहीं बल्कि छात्रों के हितों और उच्च शिक्षा की विश्वसनीयता के लिए गंभीर मामला बताया है।
AIU ने रद्द की सदस्यता
NAAC के बाद, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) ने भी कदम उठाया और अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता रद्द कर दी।
AIU की सदस्यता किसी विश्वविद्यालय के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह:
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिग्री की वैधता सुनिश्चित करती है
अन्य विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक समन्वय को बढ़ावा देती है
छात्र विनिमय और समकक्षता प्रमाणन को आसान बनाती है
सदस्यता रद्द होने के बाद, छात्रों की डिग्री की समकक्षता और मान्यता पर प्रश्न उठ सकते हैं।
विश्वविद्यालय की शांति-प्रिय छवि
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को परंपरागत रूप से मुसलमान छात्र शिक्षा केंद्रित संस्थान के रूप में देखा जाता रहा है। छात्रों के बीच कई सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया गया है।
एक उच्च शिक्षा विशेषज्ञ ने कहा,
“अल-फलाह यूनिवर्सिटी को परंपरागत रूप से शांति और सामाजिक सहयोग की संस्था माना जाता है, लेकिन किसी भी शैक्षणिक संस्था में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।”
छात्र और अभिभावक चिंता में
जैसे ही यह खबर सामने आई, छात्रों और अभिभावकों में चिंता बढ़ गई। कई छात्रों ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय के NAAC Accredited होने के दावे को देखकर प्रवेश लिया था।
एक छात्र ने कहा,
“हमें लगा था कि यह संस्थान NAAC मान्यता प्राप्त है। अब छात्रों को शिक्षा की गुणवत्ता और डिग्री की वैधता को लेकर चिंता है।”
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामले छात्रों के विश्वास और विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता दोनों के लिए चेतावनी है।
क्यों महत्वपूर्ण है NAAC और AIU मान्यता ?
भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में NAAC और AIU दोनों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
NAAC मूल्यांकन करता है कि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता, इंफ्रास्ट्रक्चर, अनुसंधान और नवाचार मजबूत हैं या नहीं।
AIU सदस्यता से डिग्री की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलती है।
इन मानकों की अनुपालन न होने से छात्रों और पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया और आगे की राह अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने अभी तक औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन आंतरिक समीक्षा कर रहा है और जल्द ही NAAC को जवाब भेजेगा।
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा,
“यह वेबसाइट की तकनीकी त्रुटि हो सकती है, हम इसे जल्द सुधारेंगे।”
विशेषज्ञों के अनुसार यह जवाब तब तक पर्याप्त नहीं माना जाएगा जब तक संपूर्ण प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की जाती।
संभावित परिणाम और कड़ी कार्रवाई
NAAC और AIU की कार्रवाई के बाद संभावित परिणाम हैं:
विश्वविद्यालय के खिलाफ UGC और राज्य सरकार द्वारा जांच
वेबसाइट और प्रचार सामग्री से फर्जी दावे हटाने के आदेश
छात्रों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले निर्देश
भविष्य की मान्यता प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी
प्रशासनिक या कानूनी कार्रवाई
समापन: सुरक्षा सर्वोपरि
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की यह घटना यह साबित करती है कि शैक्षणिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य हैं।
NAAC और AIU की कार्रवाई यह संदेश देती है कि—
“देश भविष्य और शैक्षणिक माहौल से समझौता नहीं किया जाएगा।”
अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि विश्वविद्यालय नियामक एजेंसियों को संतोषजनक जवाब कैसे देगा और छात्रों के भरोसे को पुनः कैसे कायम करेगा। इसका लाईसेंस रद्द कर देना चाहिए ।