छोटी पार्टियों की बड़ी परीक्षा, क्या मंगलवार को दिखेगा असर?

बिहार चुनाव के आख़िरी चरण में एनडीए और महागठबंधन की किस्मत सहयोगियों के हाथों में, दलित और अति पिछड़ा वोट करेंगे फैसला

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  • एनडीए के छोटे सहयोगी,  लोजपा(आरवी), हम (सेक्युलर) और आरएलएम,  मैदान में उतरे
  • महागठबंधन को उम्मीद मुकेश सहनी और कांग्रेस से, निषाद और अल्पसंख्यक वोट अहम
  • सीमांचल में एआईएमआईएम और जन सुराज ने बढ़ाई सियासी पेचीदगी
  • उच्च मतदान ने बढ़ाई उत्सुकता, किसे मिलेगा जनता का समर्थन तय करना मुश्किल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 नवम्बर: बिहार विधानसभा चुनाव अपने आख़िरी चरण में पहुंच चुके हैं, और अब मुकाबला पूरी तरह से सहयोगी दलों की ताकत पर टिका है। एनडीए और महागठबंधन (MGB) दोनों ही अपने-अपने गढ़ बचाने और नए इलाकों में बढ़त हासिल करने की कोशिश में हैं।

एनडीए की ओर से चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) 28 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि जीतन राम मांझी की हम (सेक्युलर) सभी 6 सीटों पर मैदान में है। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLM) भी 6 सीटों में से 4 पर उम्मीदवार उतार चुकी है, जिनमें उनकी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा भी शामिल हैं।

एनडीए की उम्मीदें इस बार मगध क्षेत्र पर टिकी हैं, जहां 2020 में राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 26 में से 20 सीटें जीती थीं। यदि एनडीए को यहां अपने हालात बदलने हैं, तो इसके दलित और पिछड़ा चेहरे निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

दूसरी ओर, महागठबंधन में कांग्रेस 61 में से 37 सीटों पर और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) 12 में से 7 सीटों पर मुकाबले में है। सहनी, जिन्हें 2020 में एनडीए का हिस्सा माना जाता था, इस बार एमजीबी के साथ हैं, और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का वादा कर महागठबंधन ने खुश रखा है। एमजीबी को उम्मीद है कि सहनी निषाद समाज (2.6%) के वोट को अपने पक्ष में मोड़ देंगे।

तीरहुत और मिथिलांचल एनडीए के मजबूत गढ़ माने जाते हैं,  मंगलवार को होने वाले चुनाव में यहां 30 में से 23 सीटें एनडीए के पास हैं। वहीं सीमांचल में मुकाबला रोचक हो गया है, जहां असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम दोबारा मैदान में है। 2020 में पार्टी ने यहां 24 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

एनडीए को उम्मीद है कि एआईएमआईएम के उतरने से मुस्लिम वोटों में बंटवारा होगा और उसे हिंदू एकजुटता का फायदा मिलेगा, जबकि महागठबंधन का मानना है कि इस बार मुस्लिम वोट एकतरफा उनके पक्ष में जाएंगे और उन्हें हिंदू वोटों का कुछ हिस्सा भी मिल सकता है।

इस बीच, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी एक नए राजनीतिक विकल्प के रूप में अभियान तेज़ किया है। पहले चरण में 65% से अधिक मतदान के बाद अब यह सवाल और गहरा गया है कि जनता का यह उत्साह किसके पक्ष में जाएगा।

इस चरण में भाजपा 53 और जेडीयू 44 सीटों पर, जबकि राजद 71 और सीपीआई(एमएल) 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कई सीटों पर “दोस्ताना मुकाबले” की खबरें भी सामने आई हैं।

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